2016-03-04 14:40:00

प्रेरितिक दण्डविभाग के प्रतिभागियों को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी,शुक्रवार, 4 मार्च 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक दण्डविभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला के प्रतिभागियों को पुनर्मिलन संस्कार की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए अपना संदेश दिया।
संत पापा ने कहा, “ख्रीस्तीय विश्वास का रहस्य करूणा शब्द में निहित है। यह सजीव बना और नाजरेत के येसु में अपनी पराकाष्ठा तक पहुँचा।” इस अर्थ में करूणा ईश्वर की चाह है जिसके द्वारा वे हर मानव की मुक्ति चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह दिव्य करूणा उन सभी को प्राप्त होती है जो इसकी चाह रखते हैं। क्षमा की कृपा सभी के लिए है क्योंकि यह पिता के हृदय से मेल खाती है जो प्रेम में अपने बच्चों की प्रतीक्षा करते हैं, विशेषकर, उनकी जो पाप के कारण उनसे दूर चले गये हैं। यह विभिन्न तरीके से लोगों के पास पहुँचती है जैसे कि अपनी अंतरात्मा की आवाज रूप में, धर्मग्रंथ के पठन-पाठन द्वारा जहाँ ईश्वर हमारे दिलों को परिवर्तित करते, करूणामय भाई-बहनों से मिलने के द्वारा, जीवन में अनुभव के द्वारा जो हृदय के दर्द, पाप, क्षमा और करूणा का एहसास हमारे लिए लाते हैं, लेकिन पुनर्मिलन संस्कार में हम प्रत्यक्ष रूप से ईश्वर की करूणा का एहसास पाते हैं जहां पिता से हमारे मिलन पर आनन्द मनाया जाता है।

संत पापा ने कहा कि एक पाप क्षमा देने वाले के रूप में जब हम पापस्वीकार सुनने हेतु बैठते हैं तो हमें यह निरन्तर याद करना चाहिए कि हम ईश्वर की करूणा के साधन हैं अतः इस मुक्ति के उपहार में हम रोड़ा न बनें। एक पापस्वीकार सुनने वाला स्वयं पापी है जिसे ईश्वर की क्षमा की जरूरत है वह ईश्वर की करूणा के बिना कुछ नहीं कर सकता जिसके लिए उसका बुलावा हुआ है अतः इस कार्य को हमें बड़ी नम्रता और विश्वास के साथ सम्पादित करना चाहिए जैसे की संत लेयोपोल्दो मानदीक और पीयेत्रीचीना के संत पीयो ने किया जिन्हें हमने बीते महीना अपना सम्मान दिखाया।

संत पापा ने कहा कि प्रत्येक विश्वासी को पापस्वीकार के अंत में यह विश्वास दिलाया जाता है कि उसका पाप ईश्वर की करूणा से क्षमा कर दिया गया है। प्रत्येक पाप मुक्ति हृदय की जयन्ती है जो न केवल विश्वासी और कलीसिया का स्वागत करता वरन् ईश्वर का स्वागत करता है। पापस्वीकार सुनने वाला खुशी का स्रोत्र है जबकि विश्वासी पाप मुक्त हो कर ग्लानि और बोझ का अनुभव नहीं करता लेकिन ईश्वर के कार्य में आनन्दित होता है जो उसे पाप मुक्त करते हैं।

पापस्वीकार संस्कार में हम ईश्वर की दया और प्रेम का अनुभव करते हैं ऐसा प्यार जो हमें कभी निराशा नहीं करता है। 








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