2016-03-03 15:38:00

ईश्वर की करुणा प्राप्त करने हेतु हम अपने पापों को स्वीकार करें


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 3 मार्च 2016 (वीआर सेदोक): ″यदि हृदय खुला है तभी हम ईश्वर की दया को स्वीकार कर सकते हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग प्रवचन में कही।

संत पापा ने बृहस्पतिवार 3 मार्च को अपने ख्रीस्तयाग प्रवचन में ईश प्रजा की अविश्वसनीयता पर प्रकाश डाला तथा कहा कि अपने को पापी स्वीकार करने के द्वारा ही हम अपने पर विजय प्राप्त कर सकते एवं मन-परिवर्तन के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि विश्वासनीयता के इस समझौते में, हम ईश्वर की निष्ठा तथा ईश प्रजा की बेवफाई को पाते हैं।

नबी येरेमियह के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा, ″ईश्वर सदा निष्ठावान हैं क्योंकि वे अपने आप को इन्कार नहीं कर सकते।″ जबकि लोग उनके वचनों पर ध्यान नहीं देते। अतः नबी येरेमियाह बतलाते हैं कि ईश्वर ने अपनी प्रजा को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई उपाय अपनाये किन्तु ईशप्रजा हठधर्मी बनी रही।

संत पापा ने कहा कि यदि हृदय कठोर और बंद हो तो ईश्वर की दया उसमें प्रवेश नहीं कर सकती है।

उन्होंने विश्वासियों को चेतावनी दी कि यही अविश्वसनीयता आज हम में भी है क्योंकि हमारा हृदय भी कठोर और बंद है।

उन्होंने कहा, ″यह ईश्वर की वाणी को अंदर प्रवेश करने नहीं देता जबकि वे एक प्रेमी पिता के रूप में हमारे हृदय को अपनी दया तथा प्रेम से भरने के लिए, उसे खोलने का आग्रह करते हैं।

संत पापा ने प्रस्तावित सुसमाचार पाठ पर संहिता के विद्वानों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया जिनका हृदय कठोर था। उन्होंने कहा, ″संहिता के पंडित जिन्हें धर्म का पूरा ज्ञान था, वे अपने में बंद थे। दूसरी ओर, जनता ने अपना हृदय खोला तथा येसु में विश्वास किया।

संत पापा ने विश्वासियों को क्षमा मांगने एवं दूसरों का न्याय नहीं करने का परामर्श दिया।

उन्होंने कहा, ″संहिता के पंडितों का मनोभाव बंद था। उन्होंने येसु के संदेश को नहीं समझने के कारण हमेशा व्याख्या की मांग की। उन्होंने स्वर्ग के चिन्ह की भी मांग की।″ संत पापा ने कहा कि यह निष्ठा में असफलता की कहानी है, बंद हृदय की कहानी जो ईश्वर की करुणा को प्रवेश करने नहीं देती और जिन्होंने क्षमाशीलता के शब्द को भूला दिया है। संत पापा ने कहा कि ईश्वर के प्रति क्षमा मांगने की प्रक्रिया अपने आपको पापी स्वीकार करने से शुरू होती है।

उन्होंने ईश्वर से निष्ठा की कृपा के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी। 








All the contents on this site are copyrighted ©.