2016-03-02 14:39:00

ईश्वर पिता के प्रेम और क्षमाशीलता पर चिंतन


वाटिकन सिटी, बुधवार 03 मार्च 2016, (सेदोक, वी.आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को, धर्मग्रन्थ पर आधारित ईश्वर की करूणा पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए इतालवी भाषा में  कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

करुणा की जयन्ती वर्ष में ईश्वर की करूणा से प्रेरित होकर हमने कई बार ईश्वर पिता के प्रेम और क्षमाशीलता पर मनन चिंतन किया है। ईश्वर अपने लोगों को प्रेम दिखलाते, उनकी चिन्ता, सहायता और उन्हें क्षमा करते हैं। वे उन्हें उनकी गलतियों में सुधारते और अच्छाई में बढ़ने हेतु प्रोत्साहित देते हैं। नबियों ने ईश्वर के प्रेम को सुधार के रूप में हमारे समक्ष पेश किया हैं जो हमें अपने जीवन में परिवर्तन लाने और प्रतिज्ञा को नवीकृत करने का निमंत्रण देते हैं। ईश्वर एक प्रेमी पिता की तरह हैं जो पाप करने पर प्रेम के कारण लोगों को फटकारते हुए नबी इसायस के ग्रंथ, पहले अध्याय में कहते हैं, “मैंने पुत्रों का पालन-पोषण किया, किन्तु उन्होंने मेरे विरूद्ध विद्रोह किया है। बैल अपने मालिक को पहचानता है, गधा अपने मालिक की नांद जानता है किन्तु इस्राएल नहीं जानता, मेरी प्रजा नहीं समझती।” इन वचनों के द्वारा याहवे अपने हृदय के मनोभावों को व्यक्त करते हैं क्योंकि इस्राएल ने उनकी बातों को अस्वीकार किया है।

इस्राएलियों के साथ याहवे के संबंध को नबियों ने, माता-पिता का अपने बच्चों के साथ संबंध के रूप में प्रस्तुत किया है। माता-पिता अपने बच्चों को स्वत्रंतता, दूसरों की भलाई, अच्छे गुणों और उत्तदायित्व में बढ़ने हेतु सिखलाते हैं लेकिन उन्हें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। बहुधा स्वत्रंतता घमण्ड और आत्मानिर्भरता का कारण बनती जो विरोध की भावना उत्पन्न करती है। ऐसी परिस्थिति में ईश्वर अपने लोगों को प्यार से पुकारे हुए कहते हैं “मेरे लोगों”। इस प्रेमपूर्ण संबंध का अनुभव विश्वास और आज्ञाकारिता में इस भावना से किया जाना चाहिए कि प्रेम के कारण ईश्वर की ओर से सारी चीजें आती हैं लेकिन इस परिस्थिति में ऐसा नहीं होता हैं।

अतः यहावे नबी के मुख से कड़े शब्दों का उपयोग करते हैं जिससे वे अपनी गलती का एहसास कर सकें। “धिक्कार इस पापी राष्ट्र को, दोष से लदे लोगों को, अपराधियों की सन्तति को, पथभ्रष्ट पुत्रों को। उन्होंने प्रभु का परित्याग किया, इस्राएल के परमपावन ईश्वर का तिरस्कार किया और उसे पीठ दिखायी।” (इसा.1.4)

नबियों के द्वारा अपने लोगों को धर्मशिक्षा देने के पीछे ईश्वर यही चाहते हैं कि वे पश्चाताप करें। अपनी करूणा और दया में ईश्वर उनसे कहते हैं कि वे अपने सारे हृदय से उनकी लौट आयें और एक धार्मिकता को धारण करें जो उनके लिए ईश्वर की ओर से दिया गया एक उपहार है। नबी इसायस हमें बतलाते हैं कि ईश्वर हमारे बलिदान से नहीं अपितु पापों का परित्याग और न्यायपूर्ण आचरण से खुश होते हैं। तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल क्यों न हों वे उन्हें हिम की तरह उज्जवल बनायेंगे। संत पापा ने कहा कि हम सब कृपा के इस वर्ष में अपना हृदय ईश्वर पिता के लिए खोलें जिससे हम उनकी करूणा के निमंत्रण को स्वीकारते हुए उनकी ओर लौट सकें और उनके चमत्कारिक प्रेम और क्षमा का अनुभव कर सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सब का अभिवादन करते हुए कहा, मैं अंग्रेजी बोलने वाले आयरलैण्ड, कैमरून और अमरीका के आप सभी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का अभिवादन करता हूँ। मैं आप सबको अपनी प्रार्थनाएँ और शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ जयन्ती वर्ष आपके परिवार के लिए ईश्वर की कृपा और आध्यात्मिक नवीकरण का समय हो। ईश्वर आपको अपनी खुशी और शांति से भर दे और इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया। 








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