2016-02-29 15:55:00

संत पापा की प्राधिधर्माध्यक्ष मथियस से मुलाकात


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 फरवरी 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने ईथोपिया ऑथोडोक्स तेवाहेदो कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष मथियस और उनसे साथ आये गणमान्य प्रतिनिधियों से मुलाकात की और तेवाहेदो की कलीसिया को अपना शांति संदेश दिया।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि         उनकी यह यात्रा कलीसियाओं की एकता और आपसी भाईचारे की भावना को प्रगाढ़ बनती है। उन्होंने सन् 1993 में प्राधिधर्माध्यक्ष अबुना पौलोस की याद की जो संत पापा जोन पौल द्वितीय से मिलने आये थे। उन्होंने 26 जून सन् 2009 में संत पापा बेनदिक्त 16वें से मुलाकात की और संत पापा ने उन्हें पुनः अक्तूबर के महीने में अफ्रीका के धर्माध्यक्षयों की द्वितीय धर्मसभा में आफ्रीका की स्थिति और लोगों की चुनौतियों के विषय में एक वक्तव्य देने हेतु विशिष्ट अतिथि के रूप में निमंत्रण दिया था। प्रराम्भिक कलीसियों में यह एक सामान्य प्रचलन था कि एक कलीसिया के प्रतिनिधि दूसरे कलीसियों की धर्मसभा में सहभागी होंगे। कलीसिया की यह प्रथा 2012 में भी प्रभावकारी रही जब प्राधिधर्माध्यक्ष अबुना पौलोस की दफन धर्माविधि में वाटिकन के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

संत पापा ने कहा कि सन् 2004 से काथलिक कलीसिया और पूर्वी ऑथोडाक्स कलीसिया अन्तरराष्ट्रीय संयुक्त सम्मेलन के तत्वधान  ईशशास्त्री वार्ता के माध्यम से आपसी एकता में वृद्धि हेतु कार्य करते आ रहे हैं। विगत वर्षों में सम्मेलन ने कलीसिया के मूलभूत विषय की चर्चा की जैसे एकता की समझ, जो हमें त्रीयेक ईश्वर की एकता में सहभागी करता है। इस तरह हम देखते हैं कि विश्वास, बपतिस्मा, येसु ख्रीस्त मुक्तिदाता, ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जो एक-दूसरे मिलती से जुलती हैं। हम एक बपतिस्मा के भागीदार हैं जो हमें येसु के शरीर का अंग बनाता है जहां हम येसु के भाई बहन बनते हैं। इस तरह हम पाते हैं कि विभाजित करने की अपेक्षा जोड़ने वाली चीजें अधिक हैं।

संत पौलुस की वचनों को उद्धृत करते हुए संत पापा ने कहा, यदि एक के पीड़ा होती है तो उसके साथ सभी अंगों को पीड़ा होती है और यदि एक अंग का सम्मान किया जाता है तो सभी आनन्द मनाते हैं। (कु.12.26) पीड़ा ख्रीस्तीयों को एकता के सूत्र में पिरो कर रखती हैं। कलीसिया में शहीदों का खून नये ख्रीस्तीयों हेतु बीज बना और आज भी शहीदों का लोहू हमारी एकता हेतु बीज बनता है। अन्तरधार्मिक वार्ता के शहीद हमें एक दूसरे के साथ एकता के मार्ग में बढ़ने हेतु निमंत्रण देते हैं।

संत पापा ने कहा कि आप की कलीसिया शहीदों की कलीसिया है। आज भी उत्तरी पूर्वी अफ्रीका के कुछ प्रान्तों में ख्रीस्तीयों और अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा हो रहे हैं। हम उन नेताओं से जो दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था का संचालन करते हैं निवेदन करते हैं कि शांति, सहिषुणता, मेल-मिलाप, क्षमा और एकता हेतु कार्य करें। 

आप का देश लोगों की जीविका हेतु एक अच्छी परिस्थिति उत्पन्न कर रही हैं जहाँ लोगों को न्याय और महिलाओं को सम्मान प्राप्त होता है। मैं विशेष रूप से पानी की समास्या के बारे में सोचता हूँ जो सामाजिक जीवन और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।

मैं आशा करता हूँ कि हमारा यह मिलन कलीसिया में हमारी मित्रता की एक नयी शुरूआत होगी।

 








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