बांगुई, शुक्रवार 26 फरवरी, 2016 (फिदेस न्यूज) “हमें नया राष्ट्रपति मिला, पद की अपेक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि वे हमारी आशा बने तथा नयी दिशा देते हुए देश को गर्त से बाहर निकाल पायें जहाँ हम तीन वर्षों से डूबे हुए हैं। उक्त बातें बंगासुसोऊ के धर्माध्यक्ष जुआन जोस आगुरे ने कही।
उन्होंने कहा, राजनीतिक स्थिति हमें बड़ी आशा प्रदान करती हैं क्योंकि हमे सुरंग के दूसरी छोर में प्रकाश के देखते हैं लेकिन बंगाससोउ प्रान्त एआरए युगन्डा गुरील्ला समुदाय के खतरों से घिरा हैं जो धर्माप्रान्त के गाँवों को आक्रमण से तबाह किये हुए हैं। उन्होंने बतलाया कि गुरिल्ला समुदाय की संख्या 10 से अधिक है जो गाँवों में धावा बोलते और भण्डारों को तबाह करते हैं। वे युवाओं को लूट का माल ढ़ोने हेतु बाध्य करते है। बहुत सारी परिस्थितियों में युवाओं को 5 से 10 दिन उनके चंगुल में रहना पड़ता हैं और उनमें बहुत से कभी नहीं लौटते हैं।
धर्माध्यक्ष ने बतलाया कि उनकी मुलाकात एक लड़के से हुई जो चार वर्ष की गुलामी के बाद उनके चंगुल से बच निकला। अलाएन नामक लड़के ने बतलाया कि मबेरे नामक गांव से उसे पूरे परिवार सहित बंदी बनाया गया था। 4 वर्षो तक उसे कुछ पता नहीं चला कि केन्द्रीय अफ्रीका में क्या हुआ है। उसकी माँ को जंगल से 20-30 पौंड की चीजें सिर पर ढ़ोकर लाना पड़ता, 8 घन्टे चलने के बाद वह गिर गई और चोट के कारण मर गई। उसकी पत्नी से बलत्कार किया गया और अन्तरिक रक्तस्रव के कारण वह पाँच महीने के गर्भावस्था में मर गयी। चंगुल से भागने के कारण अलाएन का अपने बच्चों के साथ संपर्क टूट गया। धर्माध्यक्ष ने कहा कि यह एआरए की अनेक कहानियों में से एक है जो अपने गुलाम बंदियों के साथ पाशविक व्यवहार करते हैं।
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