2016-02-26 07:23:00

प्रेरक मोतीः फ्राँस की सन्त ईज़ाबेल (1225 ई. – 1270 ई.)


वाटिकन सिटी, 26 फरवरी सन् 2016

फ्राँस की ईज़ाबेल सम्राट लूईजी अष्टम तथा उनकी धर्मपत्नी ब्लाँच कास्टिल्ले की सुपुत्री थी। ईज़ाबेल का जन्म 1225 ई. में हुआ था। वे, सन् 1226 ई. से सन् 1270 ई. तक फ्राँस के सम्राट रहे, सन्त लूईजी नवम की बहन थी। कम उम्र में ही ईज़ाबेल ने शील एवं भक्ति के प्रति असाधारण रुचि दर्शाई थी।

26 मई सन् 1254 ई. को सन्त पापा इनोसेन्ट चतुर्थ ने एक आदेश पत्र जारी कर फ्राँसिसकन धर्मसमाजी पुरोहितों को राजदरबार एवं ईज़ाबेल के आध्यात्मिक मार्गदर्शक नियुक्त कर दिया था। इनके मार्गदर्शन में ईज़ाबेल पवित्रता के मार्ग पर आगे बढ़ती गई। उन्होंने आजीवन विवाह न करने का प्रण किया तथा अधिकांश समय निर्धनों एवं रोगियों की सेवा में व्यतीत करने लगी। पेरिस में उन्होंने युवतियों के लिये धन्य कुँवारी मरियम की विनम्रता को समर्पित एक धर्मसंघ की भी स्थापना की। हालांकि, ईज़ाबेल इस धर्मसंघ के मठ में नहीं रहती थी तथापि, इस मठ की स्थापना और उसकी नियमावली के गठन का श्रेय उन्हीं को जाता है।

23 फरवरी सन् 1270 ई. को धर्मी महिला फ्राँस की ईज़ाबेल का निधन हो गया था। बाद में उनकी भक्ति को कलीसिया का अनुमोदन प्राप्त हुआ। फ्राँस की सन्त ईज़ाबेल का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाता है।

चिन्तनः "पुत्र! यदि तुम्हारे हृदय में प्रज्ञा का वास है, तो मेरा हृदय भी आनन्दित होता है। यदि तुम विवेकपूर्ण बातें करते हो, तो मेरा अन्तरतम उल्लसित हो उठता है। अपने हृदय में पापियों से ईर्ष्या मत करो, बल्कि दिन भर प्रभु पर श्रद्धा रखो, इस प्रकार तुम्हारा भविष्य सुरक्षित है और तुम्हारी आशा व्यर्थ नहीं जायेगी" (सूक्ति ग्रन्थ 23: 15-18)।  








All the contents on this site are copyrighted ©.