2016-02-24 12:14:00

बहुत से ख्रीस्तीय हैं नकली, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 24 फरवरी 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि ख्रीस्तीय धर्म भलाई का धर्म है किन्तु स्वतः को ख्रीस्तीय कहनेवाले अनेकानेक लोग नकली और पाखण्डी ख्रीस्तीय हैं।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था परमधर्मपीठीय प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तायग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने दिन के लिये निर्धारित इसायाह के ग्रन्थ तथा सन्त मत्ती रचित सुसमाचार से लिये पाठों पर चिन्तन किया।

ईश्वर के यथार्थ पर उन्होंने चिन्तन किया जो भलाई, प्रेम और दया से परिपूर्ण हैं और साथ ही पाखण्डी ख्रीस्तीयों की भी कड़ी निन्दा की जो ख्रीस्तीय धर्म को सेवा का अवसर मानने के बजाय   अपनी सुविधा और आराम के लिये प्रयुक्त करना चाहते हैं।

कथनी और करनी में अन्तर दर्शाते हुए सन्त पापा ने कहा, "प्रभु येसु ख्रीस्त हमें अपने वचनों को कार्यरूप देना सिखाते हैं।" उन्होंने कहा, "कितने ही ऐसे काथलिक हैं जो काथलिक होने का दम्भ भरते हैं किन्तु सुसमाचार के अनुकूल आचरण नहीं करते। कितने ही ऐसे माता-पिता हैं जो स्वतः को ख्रीस्तीय कहते हैं किन्तु अपने बच्चों के साथ बात करने, उनके साथ खेलने अथवा उनकी बातों को सुनने के लिये उनके पास समय नहीं होता। सम्भवतः ख़ुद उनके बूढ़े माता-पिता किसी वृद्धाश्रम में पड़े हैं किन्तु उनकी भेंट करना का उनके समय नहीं होता। वे यही दावा करते रहते हैं कि मैं काथलिक हूँ, मैं इस काथलिक संगठन का सदस्य हूँ अथवा फलाँ संस्था में योगदान करता हूँ आदि आदि।"

सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार का धर्म केवल बातों से भरा धर्म है जो संसार के तौर तरीकों पर चलता है किन्तु ख्रीस्तीय धर्म से बहुत दूर है।

इसायाह के ग्रन्थ में निहित शब्दों के प्रति अभिमुख होते हुए सन्त पापा ने कहा, "कहना और न करना एक धोखा है। नबी इसायाह के शब्द संकेत देते हैं कि ईश्वर को क्या सुग्राह्य है: "बुराई करना बन्द करो, भलाई करना सीखो, दीन-हीन को राहत दो, अनाथों और विधवाओं के लिये प्रार्थना करो।" उन्होंने कहा, "इसके साथ-साथ नबी इसायाह के शब्द प्रभु ईश्वर की असीम दया की भी चर्चा करते हैं जो मानवजाति से कहती हैः "यद्यपि तुम्हारे पाप सिंदूर की तरह लाल ही क्यों न हों, वे हिम के सदृश चमक उठेंगे।"

सन्त पापा ने कहा, "सत्य की खोज करनेवाला व्यक्ति ईश्वर की दया का पात्र बनता तथा भलाई करने की कृपा प्राप्त करता है। अस्तु, प्रभु से हम प्रार्थना करें कि वे हमें कथनी और करनी में अन्तर देखने का विवेक प्रदान करें।"








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