2016-02-23 11:59:00

कलीसियाई नेताओं ने की हाल ही में लागू कोटे की निन्दा


नई दिल्ली, मंगलवार, 23 फरवरी 2016 (ऊका समाचार): भारत के काथलिक नेताओं ने हरियाणा राज्य की एक प्रभावशाली कृषि जाति को विशिष्ट कोटा प्रदान करने के केन्द्रीय सरकार के निर्णय को "घोर अन्याय" निरूपित किया है।

हरियाणा में जाठ आन्दोलन और इससे जुड़ी हिंसा के उपरान्त 21 फरवरी को सरकार ने जाठ समुदाय के लोगों को शिक्षण संस्थानों में तथा सरकारी नौकरियों में पिछड़ी जातियों को मिलनेवाले अधझिकार देने की घोषणा की थी।

विगत सप्ताहान्त जाठ आन्दोलन के विरोध प्रदर्शनों में शॉपिंग मॉल्स, स्कूलों, सरकारी दफ्तरों, पुलिस स्टेशनों एवं बसों पर हमले किये गये जिनमें से कई को आग के हवाले कर दिया गया।    इस हिंसा में 16 व्यक्ति मारे गये तथा डेढ़ सौ से अधिक व्यक्ति घायल हुए हैं।

इसके अतिरिक्त, प्रदर्शन कर्त्ता रेल की पटरियों पर बैठ गये जिससे लगभग 200 रेलगाड़ियाँ रद्द करनी पड़ी तथा 800 रेलगाड़ियों के निर्धारित समय को बदलना पड़ा। आन्दोलनकारियों ने जल की आपूर्ति भी बन्द कर दी जिससे नई दिल्ली में 60 प्रतिशत लोग जल आपूर्ति से वंचित रहे।  

इस पर प्रतिक्रिया दर्शाते हुए नई दिल्ली महाधर्मप्रान्त के प्रवक्ता फादर सवारी मुत्तु ने कहा, "सरकार का निर्णय यही दर्शाता है कि बल प्रदर्शन कर सब कुछ हासिल किया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "इतने प्रभावशाली वर्ग को आरक्षण अधिकार प्रदान करना उन लोगों के प्रति घोर अन्याय है जो वास्तव में आरक्षण के हकदार हैं।"

इसी बीच, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर ज्ञान प्रकाश टोपनो ने जाठ समुदाय द्वारा विगत दिनों की हिंसा का खण्डन करते हुए कहा, "यह बड़े दुर्भाग्य की बात है। जान माल की भारी क्षति से यही प्रतीत होता है कि राष्ट्र में कानून व्यवस्था नहीं है।"

हरियाणा के रोहताक ज़िले के पल्ली पुरोहित फादर जश ने ऊका समाचार से कहा कि सम्पूर्ण जाठ आन्दोलन पूर्वनियोजित था।








All the contents on this site are copyrighted ©.