2016-02-22 16:39:00

युवा भारतीय धर्मिक कट्टरता के विरूद्ध


मुम्बई, रोमवार 22 फरवरी 2016 (ऊकान) भारत के मुम्बई महानगर में संत पौल की पुत्रियों ने विभिन्न विद्यार्जन संस्थानों और स्कूलों से मिलकर वार्षिक अन्तरधार्मिक वार्ता का अयोगन किया। संगोष्ठी का मुख्य विन्दु “अनेकता में एकता और सभी धर्मिक कट्टरता” का विरोद्ध करना था।

संगोष्ठी ने इस बात पर बल दिया की “युवा अनेकता में एकता शांति और न्याय के संस्थापक और प्रचारक हैं।” सम्मेलन का उद्देश्य युवाओं के लिए एक मंच तैयार करना था जिसमें में एक दूसरे के साथ अपने धार्मिक रिवाजों, मूल्य, गुणों और अनुभवों को साझा कर सकें। सभी युवाओं ने एक बेहतर भारत और एक अच्छी दुनिया के निर्माण का प्रण किया।

सोफिया महाविद्लय की प्रचार्या, सिस्टर आनन्दा अमृतमहल ने धार्मिक कट्टरतावाद के बारे अपने व्यख्यान में कहा, “यह एक तर्कहीन विश्वास है ।” उन्होंने कहा “ईश्वर की दृष्टि में सभी एक समान हैं यद्पि हम अपने सृजनहार से बातें करने हेतु विभिन्न माध्यमों का उपयोग करते हैं। हम एक दूसरे का सम्मान करें और अन्य धर्मो के साथ प्रतियोगिता की भावना न रखें।”

करीब 500 युवाओं ने वर्तमान परिवेश में धार्मिक कट्टारतावाद से प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने मिलकर धार्मिक कट्टरता, मानवता और सृष्टि विषय पर एकजुट होकर अपना विरोद्ध प्रदार्शन करते हुए, धार्मिक विभिन्नताओं की भावनाओं से ऊपर उठकर, शांति, सहिष्णुता और बुह-सांस्कृतिक को देश में बढ़ावा देने का प्रण किया। 








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