2016-02-22 16:53:00

यह खोज पड़ताल का सवाल नहीं अपितु प्यार भरा सवाल है


वाटिकन सिटी, सोमवार, 22 फरवरी 2016, (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस के सिंहासन पर्व के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में रोमन कूरिया के लिए जयन्ती का ख्रीस्तीयाग अर्पित किया।

अपने मिस्सा बलिदान के प्रवचन में उन्होंने कहा कि संत पेत्रुस का सिंहासन त्योहार हमें जयन्ती के इस मिस्सा बलिदान में जमा करता हैं जहाँ हम रोमन कूरिया को अपनी सेवाएँ देते हैं। हम पवित्र द्वार से होते हुए प्रेरित संत पेत्रुस की क्रब तक आये जो हमारे विश्वास को उजागर करता है।

उन्होंने कहा कि येसु आज हम सबों से यह सवाल पूछते हैं, “तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?” (Mt 16:15) एक सीधा सवाल जिससे हम भाग नहीं सकते या न ही देर से इसका उत्तर दे सकते और न ही इसके जवाब हेतु किसी को प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त कर सकते हैं। यह खोज पड़ताल का सवाल नहीं अपितु प्यार भरा सवाल है। हमारे स्वामी येसु का प्यार हमें आज बुलाता है जिससे हम अपने विश्वास को नवीकृत कर सकें, उन्हें ईश्वर के पुत्र और हमारे मसीह के रूप में पहचान सकें। पेत्रुस सर्वप्रथम येसु को अपने विश्वास का प्रमाण देते हैं।

हम पेत्रुस के उत्तर को अपना बनाते हैं, “आप मसीह हैं जीवित ईश्वर के पुत्र” (मती. 16.16) हमारे विचार और आँखें येसु पर टिकी हैं जो शुरू और अन्त तक कलीसिया के द्वारा काम करते हैं। पेत्रुस वह चट्टान है जिस पर कलीसिया की नींव डाली गई है और जिस पर हमारी नींव बनती है। माता कलीसिया उनके अर्थपूर्ण शब्दों को संत अगुस्टीन के लेख में याद करती हैं जब वे इतिहास को लेकर कलीसिया के बारे में लिखते हैं, “कलीसिया धराशायी नहीं होती क्योंकि यह पर स्थापित की गई है जहाँ से पेत्रुस का नाम आता है। चट्टान का नाम पेत्रुस नहीं अपितु पेत्रुस का नाम चट्टान से आता है जैसे कि येसु का ख्रीस्तियों से नहीं वरन् ख्रीस्तीयों का नाम येसु से आता है। येसु चट्टान हैं  जिस पर पेत्रुस की नींव तैयार की गई है।”

यह प्रेरितिक विश्वास हमारे लिए हैं अतः हमें ईश्वर के बुलावे का उत्तर देना है। प्रेरितो आप को ईश्वर की तरह होने की जरूर हैं जो अपनी भेड़ों की देख रेख करते हैं। नबी एजेकिएल ईश्वर के कार्य की चर्चा करते हुए कहते हैं कि वे खोई हुई भेड़ की खोज में जाते हैं, भटकी हुई को वापस ले आते हैं, घालयों की मलहम पट्टी करते और बीमारों को चंगाई प्रदान करते हैं। यह एक व्यवाहार है जिसकी कोई सीमा नहीं। यह निष्ठापूर्ण समर्पण है, सदैव शर्तरहित क्योंकि सभी कमाजोर उनकी करूणा के भागीदार हो सकें। नबी एजेकिएल इस्रारएल चरवाहों की कमजोरियों को देखते हैं। अतः यह हमारे लिए भी उचित हैं कि कलीसिया के चरवाहों के रूप में हमारा निमंत्रण हमें येसु भले गरेड़िये के ज्योतिमय चेहरे से प्रकाशित करता है, हमें शुद्ध और परिवर्तित करता है और हमें अपने कामों को करने की नयी शक्ति प्रदान करता है। जिससे हम अपने कर्मभूमि में एक अदम्य प्रेरितिक संवेदना का एहसास उनके लिए कर सकें जिनसे हम रोज मिलते हैं। जिससे कोई परित्यक्त अनुभव न करें वरन् सभी भले चरवाहे ईश्वर के प्रेम का अनुभव अपने जीवन में कर सकें।
हम ईश्वर के सहयोगी के रूप में बुलाये गये हैं जिससे हम अपने कामों के द्वारा ईश्वर की परिवर्तनशील शक्ति का एहसास दूसरों को करा सकें जो हमें नया बनाता है। ईश्वर हमें सभी प्रकार की परीक्षाओं से बचायें जो हमें प्रेरितिक कामों के महत्व से दूर ले जाता है। प्रेरितिक कामों के प्रति निष्ठा हमें करूणा से जोड़ता हैं जिसका अनुभव हम करना चाहते हैं। धर्मग्रन्थ में करूणा और सत्यप्रतिज्ञता दो अविखण्डनीय गुण हैं और जहाँ एक है वहाँ दूसरा भी हाजिर है और इन दोनों के आदान-प्रदान में हम भले गड़ेरिये की उपस्थिति का एहसास करते हैं। येसु के हृदय के समान कार्य करने हेतु हमें निष्ठा की आवश्यकता है। इस प्रकार जब भले चरवाहे प्रकट होंगे तो हमें हमारे कामों का ईनाम “महिमा का वह मुकुट प्राप्त होगा जिसकी चमक कभी फीकी नहीं होती।”(1पी. 5.14) 








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