2016-02-18 12:21:00

मेक्सिको के "केरेसो" कारावास सन्त पापा ने की क़ैदियों से मुलाकात


सिऊदाद स्वारेज़, मेक्सिको, गुरुवार, 18 फरवरी 2016 (सेदोक): विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस मेक्सिको में अपनी 06 दिवसीय प्रेरितिक यात्रा सम्पन्न कर गुरुवार, 18 फरवरी को, रोम समयानुसार अपराह्न साढ़े तीन बजे, पुनः रोम लौट रहे हैं। मेक्सिको में सन्त पापा फ्राँसिस की यह पहली तथा इटली से बाहर 12 वीं विदेश यात्रा थी जिसके दौरान उन्होंने क्यूबा में लघु पड़ाव करने के उपरान्त पाँच दिन मेक्सिको में व्यतीत किये। 

बुधवार, 17 फरवरी को उत्तरी मेक्सिको के चिहुआहुआ प्रान्त स्थित सिऊदाद स्वारेज़ नगर में उन्होंने "केरेसो" कारावास की भेंट कर लगभग 700 बन्दियों को अपना सन्देश दिया। लगभग 50 क़ैदियों एवं उनके परिजनों से सन्त पापा व्यक्तिगत रूप से मिले तथा उनके साथ तस्वीरें खिंचवाई। अभी कुछ ही समय पूर्व तक मादक पदार्थों के अवैध व्यापार से जुड़े अपराधी दलों के बीच जारी हिंसा के कारण सिऊदाद स्वारेज़ हत्याओं और अपहरणों के मामलों में विश्व का सर्वाधिक कुख्यात शहर कहलाता था।

"केरेसो" कारावास के क़ैदियों को सम्बोधित शब्दों में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि करुणा को समर्पित जयन्ती के वर्ष में वे कारावास की भेंट को टाल नहीं सकते थे क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को प्रभु ईश्वर की करुणा की नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "करुणा की जयन्ती मनाने का अर्थ है, हिंसा एवं अपराध के चक्र को भंग करने हेतु प्रयासों को सघन करना।"

इस बात पर बल देते हुए कि क़ैदियों की देखरेख सम्पूर्ण समाज का नैतिक दायित्व है सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा कि लोगों का सुधार एवं समाज में उनका एकीकरण कारावासों की दीवारों के भीतर नहीं अपितु कारावासी जीवन से बाहर शहरों की सड़कों एवं गलियों पर शुरु होना चाहिये। उन्होंने कहा, "पुन: एकीकरण और पुनर्वास ऐसे निकाय की रचना से शुरु होता है जिसे हम सामाजिक स्वास्थ्य कह सकते हैं अर्थात् ऐसा समाज जो आस-पड़ोस में रिश्तों को प्रदूषित न करें तथा स्कूलों, नगर के चौराहों, सड़कों, घरों तथा सम्पूर्ण समाज को रोगग्रस्त न बनायें। सामाजिक स्वास्थ्य से परिपूर्ण ऐसा निकाय जो सामाजिक संरचना के ताने-बाने को क्षति पहुँचानेवाले हानिकारक तत्वों को रोकने में सक्षम हो।"

सन्त पापा ने कहा कि कभी-कभी सामाजिक परिस्थितियाँ लोगों को नकारात्मक क्रियाओं के लिये बाध्य करती हैं जिनमें प्रायः परिवारों में व्याप्त समस्याएँ शामिल होती हैं जो व्यक्ति को एक निश्चित्त कृत्य के लिये उकसाती हैं। उन्होंने कहा, "लोगों को क़ैद कर लेने भर से ही सुरक्षा की समस्या का समाधान नहीं मिल सकता अपितु इसके लिये हमें सुरक्षा के संरचनात्मक एवं सांस्कृतिक कारणों का सामना करना होगा जो सम्पूर्ण सामाजिक ढाँचे को प्रभावित करते हैं।"








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