2016-02-15 16:48:00

झूठों के पिता, शैतान हमें समाज से विभाजित करते हुए अलग करना चाहता है


मेक्सियो सिटी, रोमवार, 15 फरवरी 2016, संत पापा फ्राँसिस ने मेक्सिको की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान एकातेपेक विद्यार्जन केन्द्र जहाँ करीब चार लाख लोग उपस्थित थे, चलीसा काल के पहले रविवार का मिस्सा बलिदान के दौरान, शैतान द्वारा येसु ख्रीस्त की परीक्षा के संदर्भ में धन, अंहकार और अभिमान विषय पर प्रवचन देते हुए मन परिवर्तन का आहृवान किया।

पिछले बुधवार को हमने चलीसा काल की शुरूआत की जहाँ कलीसिया हमें पास्का महोत्सव की तैयारी हेतु निमंत्रण देती है। यह एक विशेष समय है जहां हम बपतिस्मा के कृपादानों की याद करते हैं जब हम ईश्वर के बेटे बेटियाँ बनें। कलीसिया हमें अपने दिये गये उपहारों को याद करने का निमंत्रण देती है हम इन उपहारों को यह कहा कर न दबा दें कि ये तो बीती चीजें हैं। चलीसा ईश्वर के प्यारे बेट-बेटियों के रूप में खुशी और आशा को खोजने का एक अच्छा समय है। पिता हमारा इंताजर करते हैं जिससे कि वे हमारे थकान, उदासीनता, अविश्वास के पुराने वस्त्रों को दूर कर सम्मान के साथ प्रेम और कोमलता का एक वस्त्र पहनाना चाहते हैं जिसे केवल एक माता या पिता अपने बच्चों हेतु जानता है कि इसे कैसे देना चाहिए।

ईश्वर पिता, हमारे वृहद परिवार के पिता हैं, वे हमारे पिता हैं। वे जानते हैं उनका प्रेम अद्वितीय  है, लेकिन वे नहीं जानते हैं कि एक मात्र बच्चे का लालन-पालन कैसे करना है। वे घर के पिता हैं, भात्री-भाव के पिता जो रोटी तोड़कर बाँटते हैं। वे ईश्वर हैं जो “हमारे पिता” हैं, मेरे पिता नहीं न ही तम्हारे सौतेले पिता।

ईश्वर की योजना घर बनाकर हममें निवास करती हैं जिसे प्रत्येक पास्का और यूखरिस्त बलिदान में हम अर्पित करते जिससे हम ईश्वर की संतान बन सकें। इस स्वप्न को इतिहास में हमारे बहुत से भाई-बहनों ने देखा। इस स्वप्न हेतु बहुतों ने अभी और इतिहास में अपने लोहू बहाये।

चलीसा काल मन परिवर्तन का समय हैं, लेकिन हमारे जीवन में यह स्वप्न जैसा लगता क्योंकि झूठों के पिता, शैतान हमें समाज में विभाजित करते हुए अलग करना चाहता है। कुछेक का समाज और कुछेक के लिए समाज बनाना चाहता है। हमने कितनी बार अपने जीवन में, अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों में इस दर्द का अनुभव किया है कि जो मानवीय सम्मान हमें मिलना चाहिए वह नहीं मिला। मानवीय सम्मान नहीं मिलना हममें कितना दर्द उत्पन्न करता हैं। संत पापा ने कहा कि मुझे दर्द के साथ कहना पड़ रहा है कि अपनों को और दूसरों को सम्मान देने में हम अंधे और अप्रभावित हो जाते हैं।

चलीसा एक समय है, हमारे अनुभवों पर पुनः विचार करने का समय है। यह हमारे सामने लगातार हो रहे अन्ययाय के प्रति आँखें खोलने का समय है जो ईश्वरीय योजना के राह में रोड़े बन जाते हैं। यह तीन महा परीक्षाओं को बेनकाब करने का समय हैं जो ईश्वर के रूप को नष्ट कर देता है जिसे ईश्वर हममें बनाना चाहते हैं।

येसु ख्रीस्त की तीन परीक्षाएँ, ख्रीस्तीयों की तीन परीक्षाएँ हैं, जो जीवन के प्रति हमारे बुलावे को नाश करती और हमें विखण्डित करती हैं।

सम्पतिः यह चीजों को जमा करना और केवल अपने लोगों के लिए ही उपयोग करना हैं जो दूसरों के लिए बनाई गई हैं। यह दूसरों की मेहनत की गई रोटी को लूटना है यह दूसरों के जीवन की परवाह नहीं करता है। यह धन जिसका स्वाद दर्द भरा है, कड़वाहट और दुःख का हैं। यह वह रोटी हैं जिसे एक भष्ट परिवार या समाज अपने बच्चों को देता है।

आडम्बरः मर्यादा की चाह जो हमें निरन्तर दूसरों से अगल करते नहीं थकता हैं जो “मेरे जैसे नहीं हैं”। पाँच मिनट की व्यर्थ मर्यादा के पीछे भागना जो दूसरों की मर्यादा को माफ नहीं करता हैं। यह गिरे हुए पेड़ से जल्लावन की लकड़ी तैयार करना है जो तीसरी परीक्षा को जन्म देती है।

अहंकारः यह व्यक्ति को अपने से उँचे ओहदे पर व्यस्थित करता हैं, यह उसमें ये अनुभूति लाता है कि वह साधारण मनुष्य से बढ़चढ़ कर है जो प्रति दिन यह प्रार्थना करता है “प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मुझे उन मनुष्यों के समान नहीं बनाया है...”।

ये तीन ख्रीस्त की परीक्षाओं के हर व्यक्ति अपने रोज दिन के जीवन में सामना करता है। ये तीन परीक्षाएं जो सुसमाचार की हमारी खुशी और ताजगी का नशा और दमन करती हैं। ये तीन परीक्षाएं हमें पाप और सर्वनाश की परिधि में बन्द कर देती हैं।

संत पापा ने कहा अतः हम अपने आप में पूछने की आवश्यकता हैः

हम अपने जीवन में किस हदतक इन परीक्षाओं के प्रति सजग और सचेत हैं? हम एक  जीवनशैली के आदी किस हद तक हो गये है कि हमें ऐसा लगता हैं कि केवल धन में ही हमारा सब कुछ निर्भर करता है?

हम किस हद तय यह अनुभव करते हैं कि दूसरों की चिन्ता, उनकी रोजी रोटी के लिए काम और उनके यश और सम्मान हेतु कार्य करना हमारे जीवन में आनन्द और आशा का श्रोत बनता है?

हमने शैतान को नहीं येसु को चुना है, हम उनके पद चिन्हों में चलना चहाते हैं यद्पि हम जानते कि यह सहज नहीं है। हम जानते हैं की धन, प्रतिष्ठा और शक्ति के मोह में पड़ने का क्या मतलब है। इसी कारण कलीसिया हमें चलीसा का उपहार प्रदान करती है, हमें परिवर्तन का निमंत्रण देती है हमें एक निश्चितता प्रदान करती हैं कि वह हमारा इंतजार करती और हमें उस सभी चीजों से मुक्ति प्रदान करना चहती हैं तो हमें विभाजित करती है। यह ईश्वर हैं जिनका नाम करूणा है, उनका नाम हमारी सम्पति है उनका नाम हमें प्रसिद्धि और शक्ति दिलाता हैं उनके नाम को हम स्त्रोत में पढ़ते हैं “आप मेरे ईश्वर हैं और आप पर मैं भरोसा करता हूँ।” आइये हमे एक साथ इन वचनों को दुहरायें, “आप मेरे ईश्वर हैं और आप पर मैं भरोसा करता हूँ।”

इस मिस्सा बलिदान में पवित्र आत्मा हममें उनके नाम की निश्चितता को नवीकृत करे कि वे करूणा हैं और यह हमें प्रतिदिन एहसास दिलाये कि “सुसमाचार हम सब के हृदय और जीवन को पूर्ण करता, जो येसु में मिलते हैं, यह जानते हुए की येसु के साथ और येसु में सदैव हमारा नया जन्म होता है।” (एभानजेली गाऊदियुम)








All the contents on this site are copyrighted ©.