2016-02-05 16:00:00

संत मार्था के प्रार्थनालय में पापा का प्रवचन


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 फरवरी 2016, (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 05 फरवरी को संत मार्था के प्रार्थनालय में अपने प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान सुसमाचार पर मनन करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि योहन बपतिस्ता नारियों से उत्पन्न सबसे महान हैं। वे सबसे बड़े संत हैं येसु ने उन्हें संत घोषित किया। वे जेल में डाले गये जहाँ उनका सिर कलम कर दिया गया। उनके शिष्य आये और उन्हें ले जाकर कब्र में रख दिया। वे नबियों में आखिरी हैं केवल उन्हें ही इस्रराएल की आशा को देखने का अवसर प्राप्त हुआ।

संत पापा ने अपने प्रवचन में जेल के अन्दर झाँकते हुए उनकी आत्मा की आवाज के बारे में कहा कि जो मरूभूमि में पुकारकर भीड़ को आने वाले के नाम पर बपतिस्मा दिया करता था जो अभी न केवल तहखाने में जंजीरों में कैद था लेकिन अनिश्चितता के दबाव में था वह अन्ततः समाप्त हो गया। योहन बपतिस्ता की अन्तरिक आवाज थी मैं घटता जाऊँ, आत्मा में, शरीर में सभी चीजों में। संत पापा ने कहा, “उन्होंने अपनी महिमा की चाह नहीं की वरन् ईश्वर की महिमा चाहा, उनका अंत नीरसता और गुमनामी में हुआ। इस तरह उन्होंने येसु के लिए एक मार्ग तैयार किया जो स्वयं दुःख और अपने चेलों के बिना अकेले मरे।

संत पापा ने कहा आज कि आज संत मारकुस के सुसमाचार का 6वाँ अध्याय जिसे हम पढ़ते हैं हमें यही दिखलाता है कि ईश्वर की राह मनुष्य से अगल हैं। हम ईश्वर से नम्रता हेतु प्रार्थना करें जो संत योहन में था। हम अपने जीवन में नम्र बन रहें जिससे येसु हमारे जीवन के अंत तक बढ़ सकें।








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