2016-02-03 12:04:00

ईश्वर के सामीप्य के चिन्ह बनें, समर्पित व्यक्तियों से सन्त पापा फ्राँसिस का आग्रह


वाटिकन सिटी, बुधवार, 3 फरवरी 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने समर्पित जीवन यापन करनेवाले व्यक्तियों से आग्रह किया है कि वे ईश्वर के सामीप्य के चिन्ह बनकर मानवता के घावों में भागीदार बनें।   

रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में मंगलवार को ख्रीस्तयाग अर्पित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने समर्पित जीवन यापन करनेवाले व्यक्तियों के लिये घोषित वर्ष का समापन किया। नवम्बर 2014 को यह वर्ष आरम्भ हुआ था तथा मंगलवार 02 फरवरी 2016 को समाप्त हो गया।

प्रभु येसु के मन्दिर में अर्पण महापर्व के उपलक्ष्य में मंगलवार को सन्त पेत्रुस महागिरजाघर हज़ारों मोमबत्तियों से जगमगा रहा था। इस महापर्व को कैनडलमास भी कहा जाता है। इस अवसर पर सन्त पापा ने कई धर्मसमाजों के पुरोहितों के साथ मिलकर ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने कहा, "सब प्रकार के समर्पित जीवन की अपनी-अपनी विशिष्टता है और उसी के अनुकूल समर्पित लोग स्थायी मिशन की अवस्था में रहने के लिये बुलाये गये हैं।"

सन्त पापा ने कहा कि प्रभु ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार सब कुछ को नया देता है और जो लोग इस  नवीनता का अनुभव करते हैं वे, अपने आप में बन्द रहने के बजाय ख्रीस्त के साक्षी बनकर अन्यों तक पहुँचते तथा साक्षात्कार और सम्वाद की संस्कृति को प्रोत्साहन देते हैं।

सुसमाचार में निहित नबी सिमियोन एवं अन्ना के साक्षात्कार पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "बालक येसु विश्व के समक्ष ईश्वर के चिरस्थायी चमत्कार रूप में प्रस्तावित किये गये। उनके द्वारा हम स्मृति एवं प्रतिज्ञा से रचित अतीत तथा आशा से परिपूर्ण भविष्य का साक्षात्कार करते हैं।" उन्होंने कहा, "इसी में हम समर्पित जीवन की शुरुआत के दर्शन कर सकते हैं क्योंकि सभी समर्पित व्यक्ति इस ईश चमत्कार के रखवाले बनने के लिये बुलाये गये हैं।"

इब्रानियों को लिखे सन्त पौल के पत्र से लिये पाठ पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि जिस प्रकार ख्रीस्त ने मानव अवस्था का वरण करने में किसी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं दिखाई, उसी प्रकार समर्पित जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों से मांग की जाती है कि वे, वर्तमान युग के स्त्री पुरुषों की दुर्बलताओं, उनके पाप एवं उनके घावों में भागीदार बनकर ईश्वर की समीपता के नबूवती संकेत बनें।








All the contents on this site are copyrighted ©.