वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 29 जनवरी 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने विश्वास एवं धर्म सिद्धान्त के लिए बनी परमधर्मापीठय परिर्षद के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते हुए कहा कि करूणा कलीसिया की नींव, कलीसिया की पहली सच्चाई जो हमारे लिए येसु का प्यार है।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूँ कि करूणा की जयन्ती येसु में हमारे विश्वास को नवीकृत करेगी जो पिता के करूणामय चेहरे हैं जो हमें एक-दूसरे से जोड़ते हैं।
प्रतिनिधिनयों का आहृवान करते हुए संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय विश्वास केवल ज्ञान नहीं जिसे यादगारी के रूप में रखा जाये वरन् यह एक सच्चाई है जिसे हमें प्यार में जीने कि जरूरत है। इस लिए सिद्धान्तों के साथ हमें नौतिकता को विशेषकर जीवन से अतिसंवेदनशील क्षणों में बनाये रखने की आवश्यकता है। येसु में हमारे विश्वास का अर्थ नन्यायोचित कार्यों का निष्पादन है। इस संदर्भ में मैं आप सबों का शुक्रगुजार हूँ कि आप ने याजकवर्ग द्वारा यौन शोषण को बहुत ही उत्तदायी ढ़ग से लिया है।
संत पापा ने कहा कि हमें कलीसिया के जीवन के बढ़वा देने की बात हैं। पिछले साल आपने यूरोपीय धर्माध्यक्षयों हेतु धर्म सिद्धातों के सम्मेलन का अयोजन किया जिसके द्वारा विश्वासियों में प्रेरितिक कार्य को लेकर एक नये जोश का संचार हुआ। इसके बिना यूरोप में मानवता के गुणों का खोने का भय था। मैं आपको निमंत्रण देता हूँ आप सलाहकारी समिति को अपना सहयोग देते रहे जिससे धर्माध्यक्ष सम्मेलन और स्थानीय धर्माध्यक्षों को त्वरित बदलते परिवेश में सिद्धान्तों के सही निष्पादन में सहायता मिलती रहे। कलीसियाई श्रेणी और करिश्माई उपहारों के बीच पूरकता का अध्यायन कर आप कलीसियाई जीवन की नवीनता हेतु और एक महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर सकते हैं क्योंकि ये दोनों विश्व में कलीसिया और विश्व की भलाई हेतु एक साथ मिलकर काम करने हेतु बुलाये गये हैं।
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