2016-01-27 16:53:00

आमदर्शन में संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार 27 जनवरी 2016, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए इतालवी भाषा में  कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

पवित्र धर्मग्रन्थ में ईश्वर की करुणा अपनी चुनी हुई प्रजा इसराएल के इतिहास में भरी हुई है। वे अपनी करूणा में पूवजों के साथ यात्रा करते, उनके बंझापन की स्थिति में भी उन्हे  संतान के वरदानों से विभूषित करते, उन्हें कृपा और मेल-मिलाप की राह में अग्रसर करता है जैसा कि हम जोसेफ और उनके भाइयों की कहनी में सुनते हैं। (उत्पति.37-50) लेकिन जैसे हम जानते है कि मिस्र में उन लोगों की स्थिति कठिन थी। इस विशेष परिस्थिति में जब इस्राएली गुलामी से छुटकारा पाने चाहते थे यहावे उनके जीवन में प्रवेश करते और उन्हें मुक्ति प्रदान करते हैं।

हम निर्गमन ग्रंथ में पढ़ते हैं कि एक लम्बे समय के बाद जब मिस्र के राजा की मृत्यु हुई इस्रराएल की संतानों को गुलामी का दंश झेलना पड़ा, और वे दुःख में रो पड़े और उनका रूदन गुलमी से यहावे को सुनाई पड़ा। याहवे ने उनकी पीड़ा सुनी और उन्हें अब्रहाम, इसाहक और याकूब से की गई अपनी प्रतिज्ञा की याद आई। याहवे ने अपनी चुनी हुई प्रजा की ओर कृपादृष्टि की और उनकी सुधि ली।(नि.2.23-25) दया गुलामी से पीड़ितों के प्रति, वे जो दुःख और हिंसा में पड़े हैं, जो दासता और मरण संकट में हैं उनके प्रति उदासीन नहीं रह सकती। यह एक दुःखदायी सच्चाई है जो सभी पीढ़ियों को यहाँ तक की हमें भी प्रभावित करता है और जो बहुधा शक्तिहीन है ऐसी स्थिति में अपना हृदय कठोर बनने की विकट परिस्थिति में पड़ जाते और दूसरी चीजों के बारे में सोचने लगते हैं। लेकिन ईश्वर उदासीन नहीं हैं। वे अपने लोगों के दुःखों से अपनी नजरें नहीं फेरते हैं। ईश्वर की दया हमारे साथ रहती है और दुःखियों की चिन्ता करती है, उनकी सुधि लेती है जो अपनी निराशा की घड़ी उन्हें पुकारते हैं। ईश्वर पुकार सुनते और अपने चुने हुए लोगों के द्वारा अपनों के बीच आते और उन्हें दुःख तकलीफ से निजात दिलाते हैं।

अतः इस तरह शुरू होती हैं मूसा की कहानी जो लोगों की मुक्ति हेतु एक मध्यस्थ का काम करते हैं। वह राजा फराऊन का सामना करते हैं और इस्रलाएलियों को दासता से मुक्त करने हेतु विश्वास दिलाते हैं, और तब लोगों को लाल समुद्र के पार ले जाने में उनकी देख-रेख करते और मरूभूमि से होते हुए उन्हें स्वतंत्रता दिलाते हैं। मूसा जिन्हें याहवे की दया ने बल्यावस्था में नील नदी में मृत्युशया से बचाया, वे उसी दया का माध्यम बनते हुए इस्राएलियों को लाल समुद्र के पार स्वतंत्रता में एक नये जीवन की शुरूआत हेतु ले चलते हैं।  
ईश्वर की दया हमें बचाने हेतु सदैव कार्यशील है। याहवे अपने सेवक मूसा के द्वारा मरूभूमि में अपने लोगों को पुत्र सा ले चलते हैं। वे उन्हें विश्वास करना सिखलाते और उनके साथ प्रतिज्ञा करते हुए उनके बीच प्रेम का एक अटूट बंधन स्थापित करते हैं जैसे की एक पिता अपने पुत्र और एक वर अपनी वधू के साथ करता है।

करुणा का एक समय आता हैं। ईश्वर एक विशेष प्रेम प्रदर्शित करते और मुख्यतः विशेष लोगों के साथ प्रेम के संबंध में प्रवेश करते हैं। जब वे मूसा को अपने गंठबधन के बारे में निर्देश देते तो वे कहते हैं, “यदि तुम मेरी बात मानोगे और मेरे विधान के अनुसार चलोगे, तो तुम सब राष्ट्रों में से मेरी अपनी प्रजा बन जाओगे क्योंकि समस्त पृथ्वी मेरी है। तुम मेरे लिए याजकों का राजवंश तथा पवित्र राष्ट्र बन जाओगे।” (नि.19. 5-6)
निश्चय ही ईश्वर सारी पृथ्वी के मालिक हैं क्योंकि उन्होंने इसे बनाया है लेकिन लोग ईश्वर के लिए एक अलग स्वामित्व बनते हैं विशेषकर, उनके व्यक्तिगत सोने और चाँदी से भिन्न, जिसके बारे में राजा दाऊद कहते हैं मैंने मन्दिर निर्माण हेतु उनका दान कर दिया। हम जो उनके साथ एक प्रतिज्ञा में प्रवेश करते हैं तो हम अपने को उनके हाथों में सौंप देते हैं और वे हमारी रक्षा करते हैं। ईश्वर की दया मनुष्य को कीमती बनती है एक व्यक्तिगत धन के समान जो उनका अपना है जिसकी वे रक्षा करते हैं।
ये करूणा के विस्मयकारी निशानी हैं जो येसु में परिपूर्णत तक पहुँचते हैं जहाँ “नया और अनन्त व्यवस्थान” उनके लोहू में समर्पित किया गया है जिसके द्वारा हमें पापों से क्षमा मिलती और हम ईश्वर की संतान बनते हैं, करूणामय पिता के हाथों में एक कीमती उपहार।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सबों का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं आज के आमदर्शन समारोह में भाग लेने के आये आप तीर्थयात्रियों और अंग्रेजी बोलने वाले दर्शकों, संयुक्त राज्य अमेरिका से आये आप सब का विशेष रूप से अभिवादन करता हूँ। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ मैं कामना करता हूँ कि करूणा की यह जयंती वर्ष आपके और आपके परिवार के लिए अनुग्रह और आध्यात्मिक नवीकरण का क्षण हो। इतना कहने के बाद संत पापा ने सबों के ऊपर प्रभु येसु की खुशी और शांति का आहृवान किया और सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया। 








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