2016-01-26 08:57:00

गणतंत्र दिवस के सम्बोधन में राष्ट्रपति मुखर्जी ने आतंकवाद को कैंसर बताया


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 26 जनवरी 2016 (सेदोक): भारतीय गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या राष्ट्र के नाम जारी अपने सन्देश में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पड़ोसी देशों के साथ सभी समस्याओं के समाधान हेतु वार्ताओं पर बल दिया तथा चरमपंथ को समाज का कैंसर बताया। उन्होंने कहा कि चरमपंथ ऐसी बीमारी है जिसे जड़ से उखाड़ फेंकना अनिवार्य है क्योंकि चरमपंथ लोगों के बीच मैत्री एवं शांति के अवसरों को मिटा देता है।  

भारत में विद्यमान विभिन्न धर्मों के बीच मैत्री का आग्रह कर राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिवेश में, जहां बहुत से देश धर्म आधारित हिंसा के दलदल में फंसते जा रहे हैं, "भारत की सौम्य शक्ति का सबसे शक्तिशाली उदाहरण धर्म और राज-व्यवस्था के बीच संबंधों की हमारी परिभाषा में निहित है। हमने सदैव धार्मिक समानता पर अपना भरोसा जताया है, जहां हर धर्म कानून के सामने बराबर है और प्रत्येक संस्कृति दूसरे में मिलकर एक सकारात्मक गतिशीलता की रचना करती है। भारत की प्रज्ञा हमें सिखाती है: एकता ताकत है, प्रभुता कमजोरी है।"

इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति महोदय ने देश के आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने, महिलाओं एवं बच्चों को, विशेष रूप से, सुरक्षा पहुँचाने, स्वच्छ ऊर्जा, शहरी योजना और पर्यावरण की रक्षा के लिए नई खोज पर ध्यान देने, पर्यावरण की रक्षा पर गंभीरता से काम करने तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र को बेहतर बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन विषयों पर उदार विचारों का स्वागत किया जाना चाहिये।  

   राष्ट्र को मज़बूत बनाने के लिये उन्होंने राजनीतिज्ञों से भी अनुरोध किया कि वे अपने स्वार्थों को भुलाकर देश और जन कल्याण के लिये काम करें। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में विरोध, विद्रोह, मांगें और शिकायतें होती रहती हैं किन्तु इनके बावजूद तमाम मुद्दों पर राष्ट्रीय आम सहमति के निर्माण का प्रयास किया जाना चाहिये।"








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