2016-01-25 12:11:00

प्रेरक मोतीः सन्त पीटर थॉमस (1305-1366 ई.)


वाटिकन सिटी, 25 जनवरी सन् 2016

कारमेल धर्मसमाजी लैटिन प्राधिधर्माध्यक्ष एवं सन्त पापा के प्रतिनिधि पीटर थॉमस का जन्म फ्राँस के गॅसकनी में सन् 1305 ई. में हुआ था। 21 वर्ष की आयु में वे कारमेल मठ में भर्ती हो गये थे। सन् 1342 ई. पीटर थॉमस को आविन्योन से धर्मसमाज का वित्त एवं प्रबन्ध अधिकारी नियुक्त कर दिया गया था। चूँकि, उस समय आविन्योन, कलीसिया के परमाध्यक्ष यानि सन्त पापा की पवित्र पीठ था, पीटर थॉमस सन्त पापाओं की सेवा में जुट गये। इसी दौरान, अपने प्रवचनों. अर्थपूर्ण वाग्मिता एवं वाकपटुता के कारण सन्त पापा का ध्यान उनकी ओर गया। सन्त पापा ने उन्हें परमधर्मपीठ की कूटनैतिक सेवा के लिये बुलाया लिया। इस प्रकार पीटर थॉमस जेनोआ, मिलान तथा वेनिस में सन्त पापा के प्रतिनिधि पद पर नियुक्त कर दिये गये।  

सन् 1354 ई. में उन्हें पात्ती एवं लिपारी के धर्माध्यक्ष, सन् 1359 ई. में कोरोन के धर्माध्यक्ष, सन् 1363 ई. में कान्दिया के महाधर्माध्यक्ष तथा सन् 1364 ई. में कॉन्सटेनटीनोपल के नामधारी प्राधिधर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया। सन्त पापा अरबन पाँचवें के आदेश का अनुपालन करते हुए प्राधिधर्माध्यक्ष पीटर थॉमस ने, तुर्कियों के विरुद्ध क्रूसयुद्ध के आयोजन हेतु सरबिया, हंगरी तथा कॉन्सटेनटीनोपल की यात्राएँ की। सन् 1365 ई. में, उन्होंने, मिस्र के एलेक्ज़ेनड्रिया के विरुद्ध एक सैन्य कार्रवाई में भी हिस्सा लिया था जिसमें वे बुरी तरह ज़ख्मी हो गये थे। कुछ माहों बाद, सन् 1366 ई. में, इन्हीं घावों के चलते साईप्रस में प्राधिधर्माध्यक्ष पीटर थॉमस का निधन हो गया था। हालांकि, आधिकारिक रूप से, उनकी सन्त घोषणा नहीं हुई है, तथापि, सन् 1608 ई. में कारमेल धर्मसमाज को उनका पर्व मनाने की अनुमति प्रदान कर दी गई थी। सन्त पीटर थॉमस का पर्व 25 जनवरी को मनाया जाता है।

चिन्तनः "मैं प्रभु के कारण आनन्द मनाऊँगा; उसकी सहायता के कारण मैं उल्लसित हो उठूँगा। मेरी समस्त हड्डियाँ यह कहेंगी: ''प्रभु! तेरे समान कौन है? तू प्रबल अत्याचारी से दरिद्र की और शोषक से दीन-हीन-की रक्षा करता है" ( स्तोत्र ग्रन्थ 35:9-10)। 

 








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