2016-01-23 15:21:00

50 वें विश्व सम्प्रेषण दिवस पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 जनवरी 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन प्रेस सम्मेलन ने 50 वें विश्व सम्प्रेषण दिवस पर संत पापा फ्राँसिस के संदेश को प्रकाशित किया। संदेश की विषयवस्तु थी ″सम्प्रेषण एवं करुणा: एक उपयोगी मुलाकात″ जो खंडित और ध्रुवीकृत विश्व में स्वस्थ संबंधों को बढ़ावा देने हेतु संचारकों की जिम्मेदारी पर प्रकाश डालता है।

शेक्सपीयर, सुसमाचार तथा पुराने व्यवस्थान से संदर्भ प्रस्तुत करते हुए संत पापा ने स्मरण दिलाया कि एक ख्रीस्तीय के रुप में सभी के लिए हमारे प्रत्येक शब्द एवं हावभाव से ईश्वर की सहानुभूति, कोमलता तथा क्षमाशीलता प्रकट होना चाहिए। यदि हमारी भावनाएँ एवं कार्य उदारता एवं दिव्य प्रेम से प्रेरित होते हों तो हमारा संचार कार्य ईश्वर की शक्ति से पोषित होगा।

ईश्वर के पुत्र- पुत्रियों के रूप में हम किसी की उपेक्षा किये बिना सभी के साथ संवाद करने के लिए बुलाये गये हैं। संत पापा ने कहा कि सम्प्रेषण में सेतु निर्माण करने, मुलाकात, समावेश एवं चोटिल यादों को चंगा करने की शक्ति है अतः यह समाज को समृद्ध बना सकता है। भौतिक एवं डिजिटल दुनिया में हमारे शब्द एवं कार्य हमें मदद करे कि हम तिरस्कार एवं प्रतिशोध के भ्रष्ट घेरे से बचें जो व्यक्ति एवं राष्ट्र को उकसाता तथा घृणा फैलाने का प्रोत्साहन देता है।

संत पापा ने भली इच्छा रखने वाले सभी लोगों को निमंत्रण दिया है कि वे करुणा की शक्ति की खोज करें जिससे कि रिश्तों के घावों को चंगा किया जा सके तथा परिवारों एवं समुदायों में शांति और सौहार्द बहाल किया जा सके। उस समय भी जब पुराने घाव तथा सुस्त असन्तोष सम्प्रेषण एवं मेल-मिलाप के रास्ते पर बाधक बनें। उन्होंने कहा कि करुणा एक नये प्रकार के भाषण और संवाद की रचना कर सकती है। विशेषकर, हमारे राजनैतिक एवं कूटनीतिक भाषा को दया से प्रेरित होना चाहिए। राजनीतिक नेताओं, पत्रकारों एवं विचारों के निर्माताओं से आशा की जाती है कि वे अपनी बातों का ख्याल रखें कि वे लोगों की बातों को किस तरह प्रस्तुत करते हैं जो अलग तरीके से सोचते हैं। हिंसा, भ्रष्टाचार एवं शोषण जैसे बुराईयों की निंदा करते समय भी हमें नम्रता एवं दया का ख्याल रखना चाहिए जो हृदयों को स्पर्श कर सकता है न कि कठोर शब्दों का प्रयोग जो व्यक्ति को अधिक दूर कर सकता है।

सच्चा सम्प्रेषण का अर्थ है सुनना, महत्व देना, सम्मान करना तथा सवाल एवं संदेह को साक्षा करना। ऑनलाईन अथवा सामाजिक नेटवर्क हमें सदा ख्याल रखना चाहिए कि यह न केवल तकनीक है जो वास्तविक समाचार देता किन्तु मानव हृदय है तथा उन सभी साधनों का बुद्धिमता पूर्ण प्रयोग कर पाने की क्षमता है।

संत पापा ने सभी को प्रोत्साहन दिया कि समाज को एक ऐसे मंच की तरह न देखा जाए जहाँ अंजान होड़ लगाते तथा सबसे ऊपर आने का प्रयास करते हैं बल्कि एक घर या परिवार के रूप में देखें जिसका द्वार हमेशा खुला हो और उसमें सभी लोग स्वागत किये जाने का अनुभव कर सकें। 








All the contents on this site are copyrighted ©.