2016-01-20 12:02:00

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने सशस्त्र संघर्षों में नागरिकों की सुरक्षा पर दिया बल


न्यू यॉर्क, बुधवार, 20 जनवरी 2016 (सेदोक): संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष बेरनादीतो आऊज़ा ने सशस्त्र संघर्षों में नागरिकों की सुरक्षा पर बल दिया है।

न्यू यॉर्क में मंगलवार को महाधर्माध्यक्ष बेरनादीतो आऊज़ा ने सशस्त्र संघर्षों के दौरान नागरिकों की सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र संघीय सुरक्षा परिषद के वाद-विवाद में भाग ले रहे सदस्य राष्टों के प्रतिनिधियों को सम्बेधित किया।

उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि 1990 के दशक के बाद से सशस्त्र संघर्षों के शिकार लोगों में 90 प्रतिशत निर्दोष नागरिक शामिल हैं जिनमें बच्चों एवं महिलाओं की संख्या विशाल है। इसके अतिरिक्त, सशस्त्र संघर्षों के परिणामस्वरूप लाखों नागरिक अपने घरों का पलायन कर शरणार्थी बनने के लिये बाध्य हैं। उन्होंने कहा कि इन संघर्षों में जानबूझकर नागर संरचनाएँ नष्ट की जा रही हैं जिससे बच्चे शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हो रहे हैं।

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि नागरिकों को खाद्य आदि प्राथमिक आवश्यकताओं से वंचित किया जा रहा है तथा राहत कर्मियों एवं पत्रकारों को सशस्त्र संघर्षों का शिकार बनाया जा रहा है जो अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का घोर अतिक्रमण है।

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि सबसे दुखद तथ्य यह कि मौन रखकर तथा उदासीन रहकर  किसी न किसी प्रकार सम्पूर्ण अन्तरराष्ट्रीय समुदाय इन जघन्य अपराधों का ज़िम्मेदार है। उन्होंने उदाहरण दिया कि सशस्त्र संघर्षों में प्रयुक्त हथियारों का उत्पादन एवं विक्रय विश्व के औद्योगिक देशों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा के लिये युद्ध अपराधों की कड़ी निन्दा करनी चाहिये तथा उन सभी हथियारों पर रोक लगाना चाहिये  जिसके जरिये युद्ध और संघर्ष लड़े जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिये विश्व के प्रत्येक राष्ट्र को प्रतिबद्धता दिखानी होगी। 








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