2016-01-07 15:43:00

उड़ीसा के शहीद होंगे कलीसिया द्वारा सम्मानित


रोम, बृहस्पतिवार, 7 जनवरी 2015 (ऊकान): ″संत घोषणा प्रक्रिया की शुरूआत शहीदों के रिश्तेदारों के परिवारों के लिए गर्व की बात है किन्तु समस्त कलीसिया के लिए भी यह गौरव की बात है क्योंकि विश्वास के कारण मृत्यु के शिकार हमारे भाई-बहन एवं बच्चे नहीं भूलाये गये हैं।″  

यह बात कटक भूनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष जोन बारवा ने 5 जनवरी को काथलिक न्यूज़ एजेंसी से कही।

 उन्होंने ने कहा कि सन् 2008 में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा में उड़ीसा में मारे गये करीब 100 ख्रीस्तीयों को संत घोषणा प्रकरण की शुरूआत हेतु अधिकारिक तौर से संकेत मिल चुका है।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, ″यद्यपि जो मृत्यु के शिकार हुए उन्होंने भयंकर रूप से अपना जीवन गंवा दिया तथापि उनकी मृत्यु ने जीवन में नयापन लाया तथा विश्वास का नवीनीकरण किया जिसके कारण उन्हें गर्व महसूस होता है।″

मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने महाधर्माध्यक्ष जॉन बारवा को कंधमाल में ख्रीस्तीय विश्वास के कारण मृत्यु के शिकार लोगों के संत प्रकरण को आगे बढ़ाने हेतु जिम्मेदारी सौंपी है।

 विदित हो कि अगस्त 2008 में हिन्दू नेता स्वामी लक्ष्मानन्दा की हत्या के आरोप में हिन्दू चरमपंथियों द्वारा ख्रीस्तीयों पर हिंसक हमले में करीब 100 लोगों की निर्मम हत्या हो गयी थी तथा हिन्दू धर्म अस्वीकार करने पर 56,000 लोगों को विस्थापित हो कर जंगलों में शरण लेना पड़ा। करीब 6,500 घरों तथा 395 गिरजाघरों को नष्ट कर दिया गया था। लगभग 10,000 लोग भय के कारण अब भी अपना घर नहीं लौट पाये हैं। 

महाधर्माध्यक्ष बारवा ने अपने विश्वासियों की बातों को बतलाते हुए कहा कि लोगों में आशा एवं गर्व की भावना है। विश्वासियों का कहा है, ″हाँ उन्होंने हमारी सारी सम्पति और घर नष्ट कर दिया तथा प्रियजनों को मार डाला किन्तु उन्होंने हमारे विश्वास को समाप्त नहीं किया है हम अपने विश्वास के लिए गर्व महसूस करते हैं।″   

महाधर्माध्यक्ष की आशा है कि उनके शहीदों की संत घोषणा द्वारा लोगों का विश्वास मजबूत होगा तथा उनके बीच एकता तथा एकात्मता को बढ़ावा मिलेगा।








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