2016-01-06 14:26:00

प्रभु प्रकाश महापर्व पर देवदूत प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश


वाटिकन सिटी, बुधवार, 06 जनवरी 2015 (सेदोक): प्रभु प्रकाश महापर्व के उपलक्ष्य में, बुधवार, 6 जनवरी को, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में देवदूत प्रार्थना के लिये देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सन्त पापा फ्राँसिस ने इस प्रकार सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

आज के सुसमाचार में निहित, सुदूर पूर्व से मसीह की आराधना करने बेथलेहेम आये ज्ञानी पुरुषों का वृत्तान्त, प्रभु प्रकाश महापर्व में सार्वभौमिकता का प्राण भर देता है। यही है कलीसिया का प्राण जिसकी  अभिलाषा है कि धरती के सभी लोग येसु का साक्षात्कार कर सकें तथा उनके करुणामय प्रेम का अनुभव प्राप्त कर सकें।"

सन्त पापा ने कहा, "ख्रीस्त ने अभी-अभी जन्म लिया है, अब तक वे बोलना नहीं जानते और ज्ञानी पुरुषों के माध्यम से सभी लोग उनका साक्षात्कार कर सकते हैं, उन्हें पहचान सकते हैं और उनकी आराधना कर सकते हैं। बेथलेहेम पहुंचते ही ज्ञानी पुरुषों ने हेरोद से कहा, "हमने उनका तारा उदित होते देखा है और हम उन्हें दण्डवत करने आये हैं" (सन्त मत्ती 2,2)। ये दूरस्थ क्षेत्रों एवं विभिन्न संस्कृतियों के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे जो जन्म लेनेवाले राजा की आराधना करने इसराएल की धरती तक यात्रा करते चले आये थे। कलीसिया ने आरम्भ ही से इन ज्ञानी पुरुषों में सम्पूर्ण मानवजाति की छवि को देखा है तथा प्रभु प्रकाश महापर्व के समारोह द्वारा, मानों वह, सबकी की मुक्ति के लिये जन्म लेनेवाले शिशु की ओर, इस विश्व के प्रत्येक स्त्री एवं प्रत्येक पुरुष का, सम्मानपूर्वक, मार्गदर्शन करना चाहती है।     

 

संत पापा ने कहा, ख्रीस्त जयन्ती की रात को येसु ने अपने को चरवाहों को प्रकट किया जो नम्र और तुच्छ समझे जाते थे। वे प्रथम लोग थे जिन्होंने बेतलेहेम की छोटी ठंडी गुफा में गर्मी लाई। अब सुदूर प्रान्त से ज्ञानी पुरुष रहस्यमय तरीके से बालक येसु की तरफ अकर्षित होते हैं। चरवाहे और ज्ञानी पुरुष एक दूसरे से एकदम भिन्न हैं, लेकिन उनमें एक चीज की समानता है जो उनहें आपस में मिलाती और वह है आकाश। बेतलेहेम के चरवाहे येसु को देखने हेतु दौड़ पड़ते हैं इसलिए नहीं की वे बहुत अच्छे हैं बल्कि वे रात को रखवाली करते थे, रात में आकाश को निहारते थे। उन्होंने एक निशानी देखी, उनके संदेश को सुना और उसे देखने को चल पड़े। उसी प्रकार ज्ञानी पुरुषों ने आकाश की ओर निहारते हुए एक नये तारे को देख उस निशानी को भाषांतरित किया और उसकी खोज में निकल पड़े। चरवाहे और ज्ञानी पुरुष हमें बतलाते हैं कि येसु को जाने हेतु हमें कैसे आकाश की ओर देखना है, अपनी ओर नहीं वरन् अपना हृदय और मन खुले रूप में ईश्वर की ओर अभिमुख करना है जो सदैव हमें आश्चर्यचकित करते हैं कि कैसे हमें उनके संदेश को सुनना और उनसे प्रतिउत्तर में अपने को उदारतापूर्वक देना है।

ज्ञानी पुरुषों ने जब तारे को देखा तो वे आनंद और खुशी से उछल पड़े। तारे को देखना हमारे लिए अति सान्त्वना की बात है विशेषकर हम यूँ ही अपने भाग्य पर त्याग और छोड़ नहीं दिये गये हैं। हमारे लिए तारा सुसमाचार, ईश्वर की वाणी है जैसे कि स्तोत्र कहता है, “तेरी शिक्षा मुझे ज्योति प्रदान करती और मेरा पथ आलोकित करती है।” (स्त्रो.119.105) यह ज्योति हमें येसु की ओर ले चलती है। सुसमाचार का श्रवण किया बिना हम येसु से नहीं मिल सकते। वास्तव में ज्ञानी पुरुषों ने तारे का अनुसरण करते हुए येसु को पाया। उन्होंने वहाँ येसु को उनकी माता मरियम के साथ पाया और घुटने टेक कर उनकी आराधना की। (मती. 2.11) ज्ञानी पुरुषों के अनुभव हमें यह प्रेरित करते हैं कि हम थोड़ी सी चीजों से संतुष्ट न हों लेकिन जीवन के रहस्यमय चीजों को गौर से देखते हुए उनका अर्थ खोजें। वे हमें छोटी चीजों और गरीबी से विचलित नहीं होने की शिक्षा देते हैं वरन्  नम्रता को पहचाने और उनके सामने घुटने टेकने को कहते हैं।

माता मरियम ने बेतलेहेम में ज्ञानी पुरुषों का स्वागत किया हमें हमारे जीवन में अपनी नजरों को ऊपर उठाने में मदद करें। वे हमें सुसमाचार रूपी तारे के द्वारा येसु से मिलने में हमारी मदद करें कि कैसे हम उनकी आराधना कर सकें जिससे हम दूसरों के जीवन में ज्योति लाते हुए उनके साथ यात्रा की खुशी बाँट सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा के देवदूत प्रर्थना की पाठ किया और भक्त समुदाय को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया। देवदूत प्रर्थना के उपरान्त संत पापा ने कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो,

आज हम अपने ख्रीस्तीय, काथलीक और आर्थोडोक्स भाइयो और बहनो के साथ आध्यात्मिक समीप्य की कामना करते हैं जो कल से अपनी ख्रीस्त जयन्ती के महोत्सव मनाते हैं। हमें उन्हें शांति और खुशहाली का शुभ संदेश देते हैं।

हम “एपिफनी” की याद करते हैं जो दुनिया में बाल प्रेरितिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह बच्चों का समारोह है जो अपनी प्रार्थनाओं और त्याग द्वारा अपने अति जरूरतमंद मित्रों की सहायता करते और भात्री प्रेम का साक्ष्य देते हैं। 








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