2016-01-02 12:14:00

रोमः सन्त पापा फ्राँसीस ने खोला मरियम महागिरजाघर का पवित्र द्वार


रोम, शनिवार, 2 जनवरी 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार, पहली जनवरी को, रोम स्थित मरियम महागिरजाघर  का द्वार खोलकर मरियम के "करुणा की माता" शीर्षक पर विशेष चिन्तन किया।

रोम का मरियम महागिरजाघर काथलिक कलीसिया के इतिहास में मरियम को समर्पित पहला महागिरजाघर है जिसका निर्माण, सन् 431 ई. में, एफेसुस की महासभा द्वारा मरियम को "ईश माता" घोषित करने के उपरान्त किया गया था।

पहली जनवरी को विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया ईश माता मरियम का महापर्व मनाती है। इसी महापर्व के उपलक्ष्य में सन्त पापा ने रोम स्थित मरियम महागिरजाघर में पवित्र द्वार खोलकर महायाग अर्पित किया तथा करुणा की रानी मरियम पर चिन्तन किया।

मरियम महागिरजाघर का पवित्र द्वार खोलते हुए सन्त पापा ने कहा, "यह उचित है कि इस दिन हम पवित्र कुँवारी मरियम को "करुणा की माता" कहकर पुकारें। यह द्वार जो हमने खोला है वह, वास्तव में, करुणा का द्वार है। जो कोई भी इस द्वार की देहलीज़ पार करते हैं वे सब के सब, भय के बिना और पूर्ण विश्वास के साथ, पिता ईश्वर के दयामय प्रेम में प्रवेश करने के लिये आमंत्रित हैं, वे इस तथ्य के प्रति सचेत रहते हुए इस महागिरजाघर से बाहर जा सकते हैं कि माँ मरियम सदैव उनके साथ हैं।"

आठ दिसम्बर 2015 को आरम्भ करुणा की असाधारण जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर, सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर तथा सन्त पौल महागिरजाघर के पवित्र द्वार पहले ही खोले जा चुके हैं। शुक्रवार को सन्त पापा ने मरियम महागिरजाघर का द्वार खोलकर रोम के सभी महागिरजाघरों के द्वारों को खोल दिया है। करुणा की असाधारण जयन्ती वर्ष के दौरान इन द्वारों से गुज़रनेवाले पापमोचन के अधिकारी होंगे।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा फ्राँसिस ने आगे कहा, "ईश माता" मरियम, "करुणा की माता" भी हैं जो जीवन को नवीकृत करती तथा उसे यथार्थ आनन्द से भर देती हैं।" उन्होंने कहा, "क्षमा की माता मरियम कलीसिया को सिखाती हैं कि गोलगोथा में प्रदान की गई क्षमा की कोई सीमा नहीं, कानून के टाल–मटोल अथवा संसार की प्रज्ञा के प्रभेद भी उसे रोक नहीं सकते।" 

इस बात पर बल देकर कि मरिमय को आदर्श मानकर कलीसिया के सदस्यों को भी क्षमा एवं दया का वरण करना चाहिये, उन्होंने कहा, "कलीसिया की क्षमा को उतना ही विशाल होना चाहिये जितना क्रूस पर येसु मसीह द्वारा तथा क्रूस के नीचे खड़ी मरियम द्वारा प्रदान की गई क्षमा थी। यही कारण है कि पवित्रआत्मा के सामर्थ्य से येसु के शिष्यों को क्षमा के प्रेरित बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ताकि जो कुछ प्रभु येसु ख्रीस्त की मृत्यु से उपलब्ध किया गया है वह युगयुगान्तर के स्त्री पुरुषों तक पहुँचाया जा सके।"          

मरियम को समर्पित लैटिन भक्ति गीत "साल्वे मात्तेर मिज़ेरीकोर्दिये" का स्मरण कर सन्त पापा ने कहा कि यह गीत मरियम को "आशा की माता और कृपा की माता तथा पावन हर्ष की माता की संज्ञा से विभूषित करता है। आशा, कृपा और हर्ष सभी ख्रीस्त द्वारा दिये गये वरदान हैं। येसु को हमें प्रदान करते हुए माँ मरियम हमें क्षमा का वरदान देती हैं जो जीवन को नवीकृत करती, हमें एक बार फिर ईश इच्छा के अनुपालन का मौका देती तथा यथार्थ आनन्द से परिपूर्ण कर देती है।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "क्षमा की शक्ति, वास्तव में, आक्रोश एवं प्रतिशोध से उत्पन्न उदासी के विष को ख़त्म कर देती है। क्षमा, हर्षोंल्लास और शांति की ओर ले जाती है क्योंकि वह हृदय को मृत्यु के विचारों से मुक्त करती है जबकि, आक्रोश और प्रतिशोध विश्रान्ति को छीन कर, मन में असंतोष तथा हृदय में घाव उत्पन्न कर देते हैं।" 








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