वाटिकन सिटी, बुधवार 30 नवम्बर 2015 (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को इतालवी भाषा में संबोधित करते हुए कहा-
प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
ख्रीस्त जयन्ती काल में में हम बालक येसु के पास आते हैं। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि हमारे घरों में बहुत से परिवारों ने चरनी का निर्माण किया है जो आसीसी के संत फ्राँसिस द्वारा प्रचलित किया गया। चरनी हमारे हृदयों में इस रहस्य को सजीव बनाये रखता कि ईश्वर हमारे लिए मनुष्य बनते हैं।
बालक येसु की आराधना बहुचर्चित है। बहुत से संतों ने अपनी दैनिक प्रार्थना और अपने दैनिक जीवन को बालक येसु के अनुरूप ढ़ालना चाहा। विशेष रूप से मैं लीसीयुक्स की संत तेरेसा की याद करता हूँ जो एक कारमेल सिस्टर के रूप में बालक येसु की तेरेसा के नाम को अंगीकृत किया और उनके पवित्र चेहरे को धारण किया। वे कलीसिया की धर्माचार्य भी है जिन्होंने “आध्यात्मिक बाल्यवास्था” का साक्ष्य दिया जो की मनन-ध्यान, माता मरिया की शिक्षा, ईश्वर की नम्रता जो हमारे लिए मानव बनें विषयों पर आधारित है।
एक समय था जब ईश्वर एक छोटे बालक के रूप में दुनिया में आये और यह विश्वास को लेकर हमारे जीवन में विशेष अर्थ रखता है। यह सच है की उनका क्रूस मरण और पुनरुत्थान हमारे लिए उनके अनंत प्रेम की निशानी हैं जो हमें बचता है लेकिन हमें यह नहीं भूलना है कि उनका सम्पूर्ण जीवन हमारे लिए शिक्षा और रहस्योद्घाटन है। ख्रीस्त जयन्ती के काल में हम येसु के बल्यावस्था की याद करते हैं। विश्वास में बढ़ने हेतु हमें निरान्तर बालक येसु के जीवन पर चिन्तन करने की जरूरत है। निश्चय ही हमें इस काल के बारे में कुछ पता नहीं है। सुसमाचार हमें बतलाता है कि जन्म के आठ दिन बाद येसु को मन्दिर में समर्पित किया गया (लूका.2.21-28) मंजूषियों ने येसु की भेंट की, तदोपरान्त मिश्र देश में पलायन हुआ (मत्ती.2.1-23) और इसके बाद बारह वर्षों का लम्बा अन्तराल, जब मरियम और जोसेफ येसु के साथ तीर्थयात्रियों के समान येरूसालेम के मन्दिर में पास्का पर्व के लिये जाते हैं और अपने माता-पिता के साथ लौटने के बदले वे मन्दिर में ही रूक जाते और नेताओं के साथ बातें करते हैं।
हम बालक येसु के बारे में बहुत कम जानते हैं लेकिन जब हम बच्चों के जीवन को देखते हैं तो हम उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं।
हमें पहले बच्चों को हमारे ध्यान की जरुरत है। वे हमारे ध्यान का केन्द्रविन्दु हो क्योंकि उन्हें हमारी सुरक्षा की जरूरत है। हमें जरूरी है अपने जीवन की ओर ध्यान केन्द्रित करने का जिसे हम येसु को जान सकें। वे हमारे बाहों में आना चाहते हैं, हमारे द्वारा प्यार किया जाना और अपनी निगाहें हमारी निगाहों से मिलाना चाहते हैं। हम अपनी मुस्कान से अपना प्यार येसु को दिखलाये क्योंकि वे हमारे बीच में हैं। उनकी मुस्कान हमारे लिए उनके प्रेम की निशानी है जो हमें यह एहसास दिलाती है कि हम उनके द्वारा प्यार किये जाते हैं। बच्चे अंततः खेलना पसन्द करते हैं। बच्चों के साथ खेलना हमें अपने आप को भूल कर उनके जैसा बने की माँग करता है। यह हमारे लिए एक शिक्षा है। येसु के सामने हम अपने आप को समर्पित करने के लिए बुलाये जाते हैं जिससे हम अपनी पूरी स्वत्रंतता का अनुभव कर सकें और हम यह जान सकें कि हम कौन हैं और किसकी सेवा में संग्लन हैं। वे ईश्वर के पुत्र हैं जो हमें बचाने के लिए आते हैं। वे हमारे बीच में पिता के प्रेममय प्रतिरूप और दया को दिखलाने हेतु आये।
संत पापा ने कहा कि हम येसु की तरह अपनी बाहों को हिलायें, आइये हम उनकी सेवा करें। वे हमारे लिए प्यार और शांति के उद्गम हैं। इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और आमदर्शन में सहभागी हो रहे सभी लोगों का अभिवादन करते हुए कहा,
मैं अंग्रेजी बोलने वाले तीर्थयात्रियों और आगंतुकों, नॉर्वे, फिलीपींस और संयुक्त राज्य अमेरीका के तीर्थयात्रियों और आज के आमदर्शन समारोह में भाग ले रहे आप सब का अभिवादन करता हूँ। मैं आज के गायक मंडली का धन्यवाद करता हूँ। करूणा की जयंती कलीसिया में सभी के लिए दया और आध्यात्मिक नवीकरण का क्षण हो। ईश्वर आपके परिवार को अपनी असीम खुशी और शांति से भर दे। नया साल मुबारक!
इतना कहने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।
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