2015-12-30 12:02:00

भोपालः स्कूलों में सभी धर्मों की तालीम का आह्वान


भोपाल, बुधवार, 30 दिसम्बर 2015 (ऊका समाचार): भारतीय काथलिक कलीसिया ने स्कूलों के पाठ्यक्रम में केवल हिन्दू धर्मग्रन्थ को शामिल करने की सरकार की योजना पर प्रतिक्रिया दर्शाते हुए भारतीय स्कूलों में सभी धर्मों की शिक्षा का आह्वान किया है।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के प्रवक्ता फादर ज्ञान प्रकाश टोपनो ने ऊका समाचार से कहा, "अकादमिक पाठ्यक्रम में सभी धर्मों के धर्मग्रन्थों को शामिल किया जाना उचित होगा।" 

उन्होंने कहा कि एक ही धार्मिक ग्रन्थ तक सीमित रहने के बजाय स्कूलों के विद्यार्थियों को सभी धर्मों के धर्मग्रन्थों की शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलना चाहिये।

फादर टोपनो ने कहा, "हमारे राष्ट्र में प्रजातंत्रवाद है इसलिये हम एक ही धर्म को प्रोत्साहन नहीं दे सकते, इस प्रकार का व्यवहार प्रजातंत्रवाद के लिये उचित नहीं।"

भगवत गीता को स्कूलों के पाठ्यक्रमों में शामिल करने पर वाद-विवाद सन् 2014 के मई माह से छिड़ गया था जब हिन्दु समर्थित भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई थी।

इस बीच, कई धार्मिक समूहों तथा विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद भारतीय जनता पार्टी हरियाणा राज्य में घोषित कर चुकी है कि आगामी वर्ष से सभी सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में पाँचवी से 12 वीं कक्षा तक भगवत गीता की शिक्षा को शामिल किया जायेगा।

विरोधियों का कहना है कि यह भारतीय जनता पार्टी द्वारा शिक्षा के हिन्दूकरण का प्रयास है।

राजस्थान में भी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने भगवत गीता की 13,500 प्रतियों के वितरण के लिये मुद्रण का आदेश दिया है ताकि बाद में स्कूल के पाठ्यक्रम में इसकी प्रस्तावना की जा सके।  

फादर टोपनो ने कहा कि एक धर्म के धर्मग्रन्थ को स्कूलों में प्रस्तावित करना देश के धर्मनिर्पेक्ष सिद्धान्तों का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा, "विद्यार्थियों को सभी धर्मों के धर्मग्रन्थों को पढ़ने का अवसर देने से राष्ट्रीय एकीकरण, शांति एवं मैत्री को बढ़ावा मिलेगा।" 

भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लियो कॉरनेलियो ने कहा है कि बच्चों को बाईबिल, कुरान तथा अन्य सभी धर्मों के धर्मग्रन्थों से शिक्षा पाने का मौका दिया जाना चाहिये।








All the contents on this site are copyrighted ©.