2015-12-26 16:26:00

क्षमा दान सबसे बड़ा दान


वाटिकन सिटी, शनिवार, 26 दिसम्बर 2015 (वीआर सेदोक): रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में शनिवार 26 दिसम्बर को कलीसिया के प्रथम शहीद संत स्तेफन के पर्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज हम संत स्तेफन का पर्व मना रहे हैं। ख्रीस्त जयन्ती महोत्सव के तुरन्त बाद प्रथम शहीद का पर्व आता है। कल हमने ईश्वर के करुणावान प्रेम पर चिंतन किया जिन्होंने हमारे लिए शरीर धारण किया और आज हम येसु के शिष्य के अनुरूप प्रत्युत्तर को देख रहे हैं जिसने येसु के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। कल पृथ्वी पर मुक्तिदाता का जन्म हुआ और आज स्वर्ग में उनके विश्वस्त सेवक का जन्म। येसु के जन्म के समय जीवन के प्रति जो उपेक्षा थी आज भी वही स्थिति है किन्तु उपेक्षा रूपी अंधकार से अधिक शक्तिशाली एक प्रकाश है जिसने घृणा से ऊपर उठकर एक नयी दुनिया का उद्घाटन किया।″

संत पापा ने कहा कि प्रेरित चरित में वर्णित आज की इस घटना का खास भाव है, क्षमाशीलता का भाव। संत स्तेफन ने इस भाव को प्रभु से प्राप्त किया है। येसु ने क्रूस पर से कहा था, ″पिता इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।″ (लूक.23:34) ठीक उसी तरह संत स्तेफन ने किया। उन्होंने पत्थरवाह द्वारा शहीद होने के पूर्व अपने मारने वालों के लिए क्षमा की प्रार्थना की। ″तब वह घुटने टेक कर उँचे स्वर से बोला, प्रभु, यह पाप इन पर मत लगा।″ (प्रे.च.7:60) इस प्रकार संत स्तेफन के शहादत का अर्थ है साक्ष्य। संत पापा ने कहा कि यह एक सच्चा साक्ष्य है क्योंकि उन्होंने हूबहू येसु का अनुसरण किया। जो लोग प्रार्थना करते, प्रेम करते और दान देते हैं वे येसु का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं किन्तु जो माफ कर देते हैं यह उनके सबसे बड़े दान को दर्शाता है। हमारे मन में सवाल उठ सकता है कि क्षमा की आवश्यकता क्यों है? क्या यह केवल एक भला कार्य है अथवा समस्याओं का समाधान? संत स्तेफन की शहादत में हम इसका उत्तर पाते हैं। उन्होंने जिन्हें क्षमा कर दिया उनके बीच सौल नामक एक युवक भी था। वह कलीसिया पर अत्याचार कर रहा था तथा उसे नष्ट कर देना चाहता था। (प्रे.च.8:3) वह संत स्तेफन द्वारा माफ किया गया और इसके कुछ दिनों बाद वह सौल से पौल बन गया, गैरयहूदियों का प्रेरित, एक महान संत। हम कह सकते हैं कि पौल का जन्म ईश्वर की कृपा एवं संत स्तेफन की क्षमाशीलता द्वारा हुआ।

संत पापा ने कहा कि हम भी ईश्वर की क्षमाशीलता द्वारा जन्म लेते हैं न केवल बपतिस्मा संस्कार के समय किन्तु जब जब हम क्षमा किये जाते हैं तब तब हमारे हृदय का नया जन्म होता है। विश्वास के जीवन का हर कदम दिव्य करुणा के चिन्ह से प्रेरित होता है क्योंकि जब हम खुद प्रेम किये जाते हैं तब हम दूसरों को प्रेम बांट सकते हैं। संत पापा ने विश्वासियों को सलाह दी कि यदि हम विश्वास के रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे तो हम अच्छा जीवन व्यतीत कर पायेंगे जिसके लिए हमें ईश्वर से क्षमा प्राप्त करना है, पिता से मुलाकात करना है जो सभी को, प्रत्येक क्षण, सब कुछ के लिए क्षमा देने हेतु तैयार रहते हैं। क्षमा प्राप्त करना हमारे हृदय को चंगा करता तथा प्रेम को जगाता है। अतः हमें ईश्वर से क्षमा मांगने में कभी नहीं थकना चाहिए क्योंकि इसके द्वारा ही हम क्षमा पाना एवं क्षमा देना सीख सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि क्षमा देना सदा सहज नहीं है। हम किस तरह येसु का अनुसरण कर सकते हैं? हमें कहाँ शुरू करना चाहिए, छोटी भूलों से अथवा बड़ी गलतियों से? इसके लिए सबसे पहले प्रार्थना करनी चाहिए जैसा कि संत स्तेफन ने किया। यह हमारे हृदय से शुरू होता है, जब हम उन लोगों को ईश्वर की दया प्रदर्शित करते हैं तब क्षमा करने की आंतरिक द्वंद्व बाहर निकलता है तथा बुराई को शुद्ध करता है। प्रार्थना तथा प्रेम हमें आंतरिक असंतोष के बंधनों से मुक्त कर देता है। हम अपने प्रत्येक दिन के जीवन में क्षमा देने का अवसर प्राप्त करते हैं। इस चिन्ह को जीने के द्वारा व्यक्ति ईश्वर के करीब आता है। हमारे स्वर्गिक पिता के समान हम भी दयालु बनते हैं, क्षमाशीलता द्वारा बुराई से बाहर आकर अच्छाई को अपनाते हैं। घृणा प्रेम में बदल जाता है इस प्रकार विश्व को हम शुद्ध बनाते हैं।

हम उन सभी लोगों को धन्य कुँवारी मरियम को सिपुर्द कर करें जो संत स्तेफन की तरह विश्वास के कारण अत्याचार सह रहे हैं। हम क्षमा देने और क्षमा पाने के लिए प्रार्थना करें। 

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के सात देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश के सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, मैं इटली तथा विभिन्न देशों के सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ। बालक येसु पर चिंतन एक-दूसरे के प्रति, परिवारों, पल्लियों, धर्मसमाजी समुदायों, संगठनों तथा संस्थाओं और साथ ही भली इच्छा रखने वाले सभी लोगों पर करुणा एवं प्रेम भाव रखने हेतु प्रेरित करे।

संत पापा ने रोम तथा अन्य जगहों से पर्व की शुभकामनाएँ अर्पित करने वाले सभी लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा मैं आप प्रत्येक से सम्पर्क नहीं कर सकता हूँ अतः आज मैं आप सभी को धन्यवाद देता हूँ विशेषकर, प्रार्थना के लिए।  

अंत में उन्होंने सभी को संत स्तेफन के पर्व की शुभकामनाएँ अर्पित की।








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