2015-12-25 11:59:00

वाटिकन सिटीः रोम और विश्व के नाम सन्त पापा फ्राँसिस का क्रिसमस सन्देश


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 दिसम्बर सन् 2015 (सेदोक): वाटिकन रेडियो के सभी श्रोताओं को ख्रीस्तजयन्ती महापर्व यानि क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं। प्रभु ईश्वर आप सबको,  आपके परिजनों एवं मित्रों और सभी शुभचिन्तकों को अपने प्रेम एवं शान्ति से परिपूर्ण कर दें।

श्रोताओ, आज के प्रसारण में हम प्रस्तुत कर रहे हैं, ख्रीस्तजयन्ती के उपलक्ष्य में, रोम शहर एवं विश्व के नाम, काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष, सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश।  

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, ख्रीस्तजयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ!

ख्रीस्त हमारे लिये जन्में हैं, आइये अपनी मुक्ति के दिन हम सब मिलकर आनन्द मनायें!”  

इन शब्दों से, वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, शुक्रवार, 25 दिसम्बर को देश-विदेश से एकत्र हज़ारों तीर्थयात्रियों की उपस्थिति में विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा फ्राँसिस ने, रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना ख्रीस्तजयन्ती सन्देश, आरम्भ किया।

उन्होंने आगे कहा, "इस दिन की कृपा अर्थात् स्वयं ख्रीस्त को ग्रहण करने के लिये, आइये, हम अपने हृदय के द्वार खोलें। येसु ही वह कान्तिमय दिन है जो मानवता के क्षितिज पर उदित हुआ है। करुणा का एक दिन जिसमें हमारे पिता ईश्वर ने सम्पूर्ण विश्व के प्रति अपनी महान कोमलता प्रकाशित की है। प्रकाश का एक दिन जो भय और चिंता के अंधकार को दूर करता है। शांति का एक दिवस जो साक्षात्कार, वार्ता एवं पुनर्मिलन को सम्भव बनाता है। आनन्द का एक दिनः निर्धनों, दीन-हीन लोगों और सभी लोगों के लिये "महान हर्ष" का दिन (दे. लूकस 2:10)।  

इस दिन, मुक्तिदाता येसु ने कुँवारी मरियम से जन्म लिया। गोशाला हमें ईश्वर द्वारा प्रदत्त  "संकेत" को देखने के लिये बाध्य करता हैः "एक बालक कपड़ों में लपेटा और चरनी में लेटा हुआ" (दे. लूकस 2:12)। बेथलेहेम के चरवाहों के सदृश हम भी इस संकेत को देखने के लिये निकल पड़ें, इस घटना को जो प्रतिवर्ष कलीसिया में नवीकृत होती है। ख्रीस्तजयन्ती वह घटना है जो उस प्रत्येक परिवार, पल्ली एवं समुदाय में नवीकृत की जाती है जो येसु ख्रीस्त में देहधारण करनेवाले ईश प्रेम को ग्रहण करता है। मरियम के सदृश ही, कलीसिया प्रत्येक पर ईश्वर का "चिन्ह" प्रकट करती हैः वह शिशु जिन्हें उन्होंने अपने गर्भ में धारण किया और जिन्हें उन्होंने जन्म दिया, हालांकि, वह सर्वोच्च प्रभु का पुत्र है, क्योंकि "वह पवित्रआत्मा से है" (मत्ती 1:20)। वह वास्तव में मुक्तिदाता है इसलिये कि वही है ईश्वर का मेमना जो संसार के पाप अपने ऊपर ले लेता है (दे. योहन 1:29)। चरवाहों के संग-संग हम सब मेमने के आगे नतमस्तक हो जायें, देह बनी ईश्वर की दयालुता की हम आराधना करें और अपनी आँखों को हम पश्चाताप के आँसूओं से भर जाने दें तथा अपने हृदयों को शुद्ध करें।

केवल वे ही, वे ही हमारा उद्धार कर सकते हैं। केवल ईश्वर की दया मानवजाति को, हमारे बीच व्याप्त स्वार्थ से उत्पन्न, हर प्रकार की बुराई से मुक्त कर सकती है, जो कभी-कभी राक्षसी बुराई भी बन उठती है।  ईश्वर की कृपा हृदयों को परिवर्तित कर सकती तथा मानवजाति को, मानवीय रूप से न सुलझनेवाली, कठिन परिस्थितियों से भी निकाल सकती है।

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहाः "जहाँ ईश्वर जन्म लेते हैं वहाँ आशा जन्म लेती है। जहाँ ईश्वर जन्म लेते हैं वहाँ शांति जन्म लेती है और जहाँ शांति का जन्म होता है वहाँ घृणा एवं युद्ध के लिये कोई जगह ही नहीं होती। तथापि, ठीक उसी स्थल पर जहाँ देहधारी ईशपुत्र इस संसार में आये थे, उसी स्थल पर तनाव एवं हिंसा अनवरत जारी है तथा शांति एक ऐसा वरदान बनकर रह गया है जिसके लिये याचना की जाना तथा जिसका निर्माण किया जाना शेष है।" उन्होंने कहा, "इसराएली एवं फिलीस्तीनी प्रत्यक्ष वार्ताओं को पुनः आरम्भ करें तथा एक ऐसे समझौते पर पहुँचे जो दोनों पक्षों के लोगों को मैत्रीपूर्ण जीवन यापन करने में सक्षम बना सके तथा उस संघर्ष का अन्त कर सके जिसने उन्हें दीर्घकाल से एक दूसरे का विरोधी बना कर रखा है और जिसके, सम्पूर्ण क्षेत्र के लिये, गम्भीर दुष्परिणाम हुए हैं।"      

युद्धग्रस्त सिरिया, लिबिया, ईराक एवं अफ्रीका तथा अन्य संघर्षरत देशों के लिये प्रार्थना करते हुए उन्होंने कहा, "हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ में सम्पन्न समझौता शीघ्रातिशीघ्र सिरिया में सशस्त्र संघर्ष को रोकने में तथा उसके पीड़ित लोगों द्वारा सही जा रही अति गम्भीर मानवतावादी स्थिति को सुधारने में सफल सिद्ध हो। इसी प्रकार यह भी अनिवार्य है कि लिबिया पर सम्पन्न समझौते को सबका समर्थन मिले, ताकि देश में व्याप्त घोर विभाजनों एवं हिंसा को अभिभूत किया जा सके। मेरी मंगलकामना है कि सर्वसम्मति से अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इन देशों पर तथा इसी प्रकार ईराक, यमन और अवर-सहारा अफ्रीकी देशों में जारी नृशंसता के प्रति आकर्षित होवे जो आज भी कई लोगों को अपना शिकार बना रही है तथा महान पीड़ा का कारण बन रही है। यह नृशंसता सम्पूर्ण जातियों की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को भी नहीं बख्श रही है। मेरे विचार उन लोगों के प्रति अभिमुख होते हैं जो आतंकवाद के बर्बर कृत्यों से त्रस्त हैं, विशेष रूप से, हाल में किये गये हत्याकाण्डों की ओर जिनमें मिस्र के हवाई क्षेत्र पर हुआ हमला, बैरूथ, पेरिस, बमाको एवं ट्यूनीशिया में हुए प्राणघाती आक्रमण शामिल हैँ।"

उन्होंने आगे कहाः "मेरी याचना है कि हमारे भाइयों और बहनों को जो विश्व के विभिन्न भागों में विश्वास के ख़ातिर सताये जा रहे हैं, शिशु येसु सान्तवना एवं सम्बल प्रदान करें।

डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो यानि केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र (कार), बुरुण्डी और दक्षिणी सूडान के लोगों के लिये हम प्रार्थना करें ताकि पुनर्मिलन एवं आपसी समझदारी की निष्कपट भावना से अनुप्राणित वार्ताएं, नागर समाजों के निर्माण हेतु सुदृढ़ सामान्य समर्पण तक ले जा सकें।

क्रिसमस यूक्रेन को भी यथार्थ शांति का वरदान दे, युद्ध के परिणामों को झेल रहे लोगों को विश्रान्ति प्रदान करे तथा सम्पूर्ण राष्ट्र में मेलमिलाप की पुनः प्रतिष्ठापना हेतु सम्पन्न समझौतों के कार्यान्वयन के लिये विभिन्न पक्षों में तत्परता को प्रेरित करे।

इस दिन का आनन्द कोलोम्बिया के लोगों के प्रयासों को आलोकित करे ताकि आशा से प्रेरित होकर वे लोग वांछित शांति को हासिल करने के लिये अपने प्रयासों को जारी रख सकें।"  

सन्त पापा ने आगे कहा, "जहाँ ईश्वर जन्म लेते हैं, आशा जन्म लेती है; और जहाँ आशा जन्म लेती है वहाँ लोग अपनी प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करते हैं। तथापि, आज भी असंख्य स्त्री और पुरुष मानव प्रतिष्ठा से वंचित हैं, शिशु येसु की तरह ही वे भी ठण्ड, निर्धनता और बहिष्कार से पीड़ित हैं। हमारी मंगलकामना है कि आज हमारे सामीप्य की अनुभूति वे लोग प्राप्त करें जो सर्वाधिक दुर्बल हैं, विशेष रूप से, बाल सैनिक, हिंसा से प्रताड़ित महिलायें तथा मानव तस्करी और मादक पदार्थों के व्यापार से त्रस्त लोग।

उन लोगों के लिये भी हमारा प्रोत्साहन कम न हो जो निपट निर्धनता अथवा युद्ध से पलायन कर प्रायः अमानवीय परिस्थितियों में, और बहुत बार, अपनी जान को जोखिम में डालते हुए यात्रा पर निकल पड़ते हैं। ईश्वर उन सब व्यक्तियों एवं राष्टों को पुरस्कृत करें जो उदारतापूर्वक असंख्य आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को राहत प्रदान कर उनका स्वागत करते तथा प्रतिष्ठापूर्ण भविष्य के निर्माण और साथ ही मेज़बान समाजों में उनके एकीकरण में, उनकी और उनके प्रिय जनों की सहायता करते हैं।

इस महापर्व के दिन प्रभु उन सब लोगों में नवीकृत आशा का संचार करें जो बेरोज़गार हैं; प्रभु उन लोगों के समर्पण को समर्थन दें जिनपर राजनैतिक एवं आर्थिक जीवन की ज़िम्मेदारियाँ हैं, जिससे वे जनकल्याण हेतु कार्य करते रहें तथा प्रत्येक मानव जीवन की प्रतिष्ठा की सुरक्षा को कृतसंकल्प रहें।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "जहाँ ईश्वर जन्म लेते हैं वहाँ दया फलती-फूलती है। दया वह अनमोल वरदान है जो ईश्वर हमें देते हैं, विशेष रूप से, जयन्ती वर्ष के दौरान जिसमें हम अपने स्वर्गिक पिता के प्रेम की कोमलता की पुनर्खोज हेतु बुलाये गये हैं। प्रभु ईश्वर, विशेष रूप से, क़ैदियों को उनके करुणामय प्रेम का अनुभव करने में सक्षम बनायें, जो घावों को भरता तथा बुराई पर विजयी होता है।

आज, एक साथ मिलकर हम अपनी मुक्ति के दिन हर्षोल्लास मनायें। गोशाले पर मनन-चिन्तन करते हुए हम येसु की खुली बाँहों को निहारें, जो हमें ईश्वर का दयालु आलिंगन दर्शाती हैं, जैसे ही हम शिशु के विलाप को सुनते हैं जो हमारे कानों फुसफुसाता हैः "मेरे भाई और मेरे मित्र यहाँ रहते हैं, इसलिये मैं कहता हूँ: तुझमें शांति बनी रहे" (स्तोत्र 121-122:8)।

इन शब्दों से रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश समाप्त कर सन्त पापा फ्राँसिस ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना सन्देश जारी करने के उपरान्त सन्त पापा ने इताली भाषा में विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के प्रति क्रिसमस की हार्दिक शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा, "आप के प्रति, प्रिय भाइयो एवं बहनो, तथा विश्व के विभिन्न भागों से इस प्राँगण में पहुँचे और रेडियो, टेलेविज़न एवं अन्य सम्प्रेषण माध्यमों द्वारा जुड़े विश्व के समस्त लोगों के प्रति मैं हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त करता हूँ।

यह करुणा को समर्पित जयन्ती वर्ष का क्रिसमस है इसलिये सबके प्रति मेरी मंगलकामना है कि वे अपने जीवन में ईश करुणा का स्वागत करें, जिसका वरदान हमें ख्रीस्त ने दिया है ताकि हम अपने भाइयों के प्रति दयालु बन सकें। इस तरह हम शांति को विकसित होने देंगे!

सबको क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ!"








All the contents on this site are copyrighted ©.