2015-12-25 15:59:00

ख्रीस्त जयन्ती रात्रि जागरण मिस्सा में संत पापा का प्रवचन


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 दिसम्बर 2015, (सेदोक), संत पापा ने वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्त जयन्ती जागरण मिस्सा पूजा के दौरान अपने प्रवचन में कहा कि आज रात “एक महती ज्योति” का उदय हुआ (इसा.9.1) येसु के जन्म की ज्योति हमारे ऊपर चमकती है। नबी इसायस के वचन कितने सच्चे और न्यायप्रसांगिक हैं जिसे हमने अभी अभी सुना है। “तूने उन लोगों को आनन्द और उल्लास प्रदान किया है।” (इसा.9.2) हमारे हृदय इस खुशी की प्रतीक्षा में पहले ही आनंद से भरे हुए थे और अब हमारी खुशी हमारे हृदयों से छलकती हुई बाहर निकलती है क्योंकि प्रतिज्ञा अंतत् पूरी हुई है। आज की रात के रहस्य में आनंद और खुशी का संदेश है और यह सचमुच ईश्वर की ओर से है। इसमें शंका की कोई बात नहीं है। हम शंका को अविश्वासियों के लिए छोड़ दें जो कारण देखते हुए सच्चाई को स्वीकार नहीं करते हैं। हमारे हृदयों में उदासीनता की कोई गुंजाईश नहीं, यह उनके दिलों में होता है जो किसी चीज को खोने के भय से उनसे प्यार नहीं करते है। सभी दुःख हमारे बीच से दूर हो गये हैं क्योंकि बालक येसु सच्ची खुशी हमारे हृदयों में लेकर आते हैं।

            आज ईश्वर का पुत्र हमारे लिए जन्मा है और सभी चीजें बदल गई हैं। दुनिया के मुक्तिदाता मानव स्वभाव को धारण करने आते हैं अतः हम अकेले और भूलाये नहीं गये हैं। कुँवारी मरियम अपने पुत्र को हमारे लिए देतीं हैं जिससे हम नये जीवन की शुरूआत कर सकें। सच्ची ज्योति हमारे जीवन को ज्योर्तिमय करने आयी है जो बहुधा पाप के अंधकार से घिरा रहता है। आज हम पुनः यह पता लगाते हैं कि हम कौन हैं। आज की रात हमें जीवन के अन्तिम लक्ष्य तक जाने हेतु रास्ता दिखाता हैं। अब हमें अपने डर और भय को छोड़ना है क्योंकि ज्योति हमें बेतलेहेम के रास्ते को दिखाती है। हमें सुस्त और यू ही व्यर्थ नहीं पड़े रहना चाहिए। हमें चाहिए कि हम अपने मुक्तिदाता को देखने हेतु शीघ्रता से निकल पड़े जो चरनी में विराजमान हैं। यह हमारे लिए आनंद और खुशी का कारण है यह बालक “हमारे लिए जन्म” लिया है, यह “हमारे लिए दिया” गया है जैसा कि नबी इसायस हमें घोषित करते हैं। (इसा.9.5) लोगों ने दो हजार सालों तक अपनी यात्रा की है जिसे वे दुनिया में खुशी का अनुभव कर सकें, उन्हें शांति के राजकुमार को दुनिया में घोषित करते हुए दुनिया में उनके प्रभावकारी सेवक बनने का बीड़ा सौंपा गया है।

अतः जब हम येसु के जन्म की कहानी सुनते हैं तो हम अपने को शांत करें और बालक येसु को अपने हृदय में बोलने दें। आइये हम उनके वचनो को अपने दिल में घर करने दें और उनपर चिंतन करें। यदि हम उन्हें अपने कंधों में लेते और अपने को अलिंगन करने देते हैं तो वे हमारे हृदय में अनंत शांति लेकर आते हैं। यह बालक हमें बातलाते हैं कि हमारे जीवन में क्या महत्वपूर्ण है। वे दुनिया की गरीबी में जन्मते हैं, उनके लिए और उनके परिवार हेतु सराय में जगह नहीं थी। उन्हें गोशाले में जगह मिली और जानवरों के रहने की जगह चरनी में उन्हें सुला दिया गया। फिर भी, इस कुछ नहीं की जगह से ईश्वरीय महिमा का दीप प्रज्जवलित होता है। अब से सच्ची स्वतंत्रता और अनंत मुक्ति के मार्ग हर मनुष्य के लिए प्रशस्त हो जाते हैं जो कि हृदय के दीन-हीन हैं। बालक जिनके मुखमण्डल से अच्छाई, करूणा और पिता ईश्वर का प्रेम प्रसारित होता है हमें शिक्षा देती जैसा की संत पौलुस कहते हैं, अधार्मिकता तथा विषयवासना त्याग कर हम इस पृथ्वी पर संयम. न्याय तथा भक्ति का जीवन बितायें। (तीतु.2.12)

            इस समाज में हम बहुधा उपभोक्तावाद और उल्लास, धन, अपव्यय, दिखावे और अहंकार के नशे में धुत्त रहते हैं। यह बालक हमें सौम्यपूर्ण व्यवहार हेतु निमंत्रण देते हैं, दूसरे शब्दों में हमें साधारण, संतुलित और निरान्तर उन चीजों को देखने और करने हेतु कहते हैं जो हमारे लिए जरूरी है। दुनिया जो पापियों के लिए क्रूर, पापों के प्रति नम्र है हमें एक न्याय की दया दृष्टि, आत्मनिरीक्षण और ईश्वरीय इच्छा खोजने की करने की जरुरत है। उदासीनता की संस्कृति के मध्य जो यदकदा क्रूर बन जाती है हमारे जीवन शैली को समर्पित, सहानुभुतिपूर्ण, प्रेम और करुणा का होना चाहिए जो प्रार्थना से द्वारा ही उत्पन्न होती  है।

बेतलेहेम के चरवाहों के समान हम भी अपने आश्चर्य और विस्मय भरी निगाहों से ईश्वर के पुत्र, बालक येसु को देखें, और उनकी उपस्थिति में हमारे हृदयों से यह प्रार्थना निकले, “हे प्रभु हम पर अपनी दया प्रदर्शित कर और हमें मुक्ति प्रदान कर।”








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