2015-12-17 16:00:00

संत पापा ने भारत के राजदूत से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 दिसम्बर 2015 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 17 दिसम्बर को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में भारत, गिनी, लातविया तथा बाहरेन के राजदूतों से मुलाकात कर उन्हें शुभकामनाएँ की तथा उन देशों के सभी नागरिकों के लिए शांति एवं समृद्धि की कामना की। 

संत पापा ने मुलाकात को दुनिया में विभिन्न चुनौतियों पर विचार करने का अवसर मानते हुए  उदासीनता को इस युग की बड़ी चुनौती बतलाया तथा कहा कि इसके विपरीत एकात्मता की संस्कृति को प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उदासीनता की भावना कई रुपों में दिखाई पड़ती है जिसके मूल में असंतुलित मानवतावाद है जिसमें मानव ने ईश्वर का स्थान खुद ले लिया है। इस तरह वह कई प्रकार की मूर्तिपूजा का शिकार हो गया है। संत पापा ने जलवायु परिवर्तन संकट के लिए भी उदासीनता की संस्कृति को ही जिम्मेदार ठहराया जिसके द्वारा असंतुलित मानवविज्ञान का विकास हो रहा है।

उन्होंने कहा, ″ईश्वर, पड़ोसी तथा पर्यावरण के प्रति उदासीनता एक-दूसरे से जुड़े हैं तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं जबकि नवीकृत मानवतावाद द्वारा ही व्यक्ति अपने सृष्टिकर्ता, पड़ोसी तथा सृष्टि के साथ सही संबंध स्थापित कर सकता है।″ इसके लिए एकात्मकता एवं उदारता की संस्कृति, तथा राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक क्षेत्र के लिए जिम्मेदार लोगों को समर्पित होने की आवश्यकता है। संत पापा ने उदासीनता की संस्कृति से ऊपर उठने के लिए संचार माध्यमों को भी महत्वूर्ण बतलाया, साथ ही साथ, शिक्षा पर ध्यान देने तथा परिवारों के साथ सम्पर्क बनाये रखने की सलाह दी।

विश्व में चल रहे संघर्षों की याद कर उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस वर्ष संघर्षों में वृद्धि हुई है जबकि काथलिक कलीसिया अपनी प्रेरिताई के अनुसार करुणा की जयन्ती द्वारा विश्व में मेल- मिलाप एवं क्षमाशीलता फैलाना चाहती है। कलीसिया विश्वासियों एवं भले लोगों को ईश्वर की कृपा को ग्रहण करने के लिए उदार बनने तथा आध्यात्मिक एवं ठोस रुप में दया के कार्यों को सम्पन्न करने हेतु निमंत्रण देती है।

संत पापा ने राज्य के नेताओं से अपील की कि रोजगार, भूमि तथा आवास से वंचित लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने प्रोत्साहन दिया कि वे समाज की भलाई के लिए एकजुट होकर कार्य करें। संत पापा ने पूर्व धार्मिक स्वतंत्रता की भावना को पहचान दिया जाना समाज के लिए बेहतर बताया।








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