2015-12-12 16:10:00

करुणा की जयन्ती का संदेश सभी लोगों के लिए


जाकार्ता, शनिवार, 12 दिसम्बर 2015 (एशियान्यूज़): ″करुणा एवं क्षमाशीलता के मुद्दे पर संत पापा के शब्द पैगम्बर मोहम्मद के संदेश को दोहराता एवं सुदृढ़ करता है। यही कारण है कि संत पापा के इस कथन को एक ही धर्म में सीमित न रखकर, विश्व में फैलाया जाना चाहिए।″ यह बात मकासार स्थित अलाउद्दीन राज्य इस्लामिक यूनिवसिटी के प्रोफेसर क्वासिम माथार ने कही।  

उन्होंने संत पापा फ्राँसिस द्वारा प्रकाशित बुल ‘मिसेरीकोरदिया वॉलतुस’ के विचारों की सराहना की जिसमें संत पापा ने करुणा की आसाधारण जयन्ती वर्ष पर चिंतन प्रस्तुत किया है।

विदित हो कि 8 दिसम्बर को करुणा की आसाधारण जयन्ती वर्ष का उद्घाटन संत पापा ने पवित्र द्वार खोल कर किया।

प्रोफेसर मथार ने कहा कि मुसलमान अरबी शब्द ‘रहिम’ पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो ईश्वर के करुणामय प्रेमी स्वभाव को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि संत पापा का संदेश न केवल काथलिकों के लिए है किन्तु यह मुसलमानों और साथ ही साथ दूसरे धर्मानुयायियों का भी आलिंगन करता है क्योंकि यह घृणा की भावना को घुला देता है तथा दया और क्षमाशीलता की संस्कृति को प्रोत्साहन देता है।

प्रोफेसर मथार की आशा है कि विश्व के राजनीतिक एवं धार्मिक नेता संत पापा के इस आदर्श को अपनाते हुए अन्यों के प्रति दयालुता एवं प्रेम के मनोभाव को अपनाएँगे। 








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