2015-12-10 16:10:00

संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जेल में अमानवीय व्यवहार रोकने हेतु चीन से की अपील


बीजिंग, बृहस्पतिवार, 10 दिसम्बर 2015 (एशियान्यूज़): ″चीनी सरकार को कैदियों का बड़े पैमाने पर शोषण करने के अभ्यास को रोकना होगा। जेल कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं पर उचित कार्रवाई कर मानव अधिकार तथा अनैतिक ‘ब्लैक जेल’ को तत्काल बंद करना होगा।″ उक्त बात यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्रसंघ आयोग ने कही। आयोग ने बीजिंग को यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्रसंघ आयोग के आदेश का पालन करते हुए एक साल के अंदर गंभीर प्रगति लाने की चुनौती भी दी है।

यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्रसंघ आयोग के सदस्यों एवं चीनी प्रतिनिधियों की संयुक्त सभा में प्रस्तुत रिर्पोट में आयोग ने कहा, ″आयोग न्याय प्रणाली में घुसे अपराधिक यातनाओं एवं अमानवीय व्यवहार पर कड़ी नजर रखेगी।″ 

आयोग में अंतरराष्ट्रीय एवं स्थानीय 10 विशिष्ट सदस्य हैं जो वकीलों को गिरफ्तार करने हेतु  मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की एक मुहिम चला रहे हैं। जानकारी के अनुसार मुहिम में 200 से अधिक वकीलों को पकड़ा जा चुका है। लगभग 25 लोगों को नजरबंद रखा गया है। पुलिस हिरासत में होने वाली मौत के विरूद्ध भी आयोग आवाज उठा रही है।

चीनी बंदीगृह प्रणाली की यातना के बूरी तरह प्रभावित हैं एक असंतुष्ट लेखक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता लीयू सियाबो जिन्हें सन् 2008 में जेल की सज़ा सुनायी गयी थी। 2009 में उन्हें 11 साल की सज़ा मिली तथा 2010 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किये गये।

सज़ा उन्हें चीन में लोकतांत्रिक बदलाव का आह्वान करती एक दस्तावेज को तैयार करने के खिलाफ दी गयी थी। लीयू सियाब की गिरफ्तारी की सालगिरह पर लेखकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने उनके रिहाई की मांग की थी।

आयोग की आलोचना का दूसरा मुख्य कारण है लीयू सियाब की पत्नी को सज़ा दिया जाना। यह सज़ा उन्हें उनके पति के कार्यों के कारण मिली है जो अन्याय पूर्ण एवं बिना किसी कानूनी आधार का है। 








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