2015-12-03 14:55:00

करूणा की जयन्ती वर्ष पर संत पापा का साक्षात्कार


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 3 दिसम्बर 2015 (वीआर अंग्रेजी): संत पापा फ्राँसिस ने 2 दिसम्बर को काथलिक साप्तहिक मैगजीन में दिये एक साक्षात्कार में कहा कि आगामी करूणा की जयन्ती वर्ष लोगों को अत्याचार, क्रूरता और आज की दुनिया के शोषण के बदले एक विकल्प की खोज करने के लिए संभावना प्रदान करेगी।

″क्रेदेरे″ नामक आधिकारिक जयंती प्रकाशन में दिये अपने साक्षात्कार में संत पापा ने स्मरण किया कि उन्होंने देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये अपने प्रथम संदेश एवं वाटिकन स्थित संत अन्ना पल्ली में अपने पहले प्रवचन में करुणा पर चिंतन किया था।

उन्होंने साक्षात्कार में कहा, ″हम क्रूरता एवं अत्याचार की बुरी ख़बरों से अभ्यस्त हो चुके हैं किन्तु विश्व को आज ईश्वर को पिता के रूप में पहचानने की आवश्यकता है, यह अनुभव करने की जरूरत है कि करुणा का अस्तित्व अब भी है तथा क्रूरता एवं अत्याचार अधिक दिनों तक बना नहीं रहेगा।″ संत पापा ने कहा कि कलीसिया अकसर नैतिक नियमों के कठोर पथ को अपनाने के प्रलोभन में पड़ती है किन्तु इसके द्वारा बहुत सारे लोग बहिष्कृत हो जाते हैं। 

संत पापा ने कलीसिया की छवि को एक अस्पताल के समान लोगों के घावों पर मरहम पट्टी करने वाली बताते हुए कहा कि यह वर्ष क्षमाशीलता एवं मेल-मिलाप का वर्ष है। एक ओर हम घातक हथियारों के उत्पादन और तस्करी देखते हैं तथा दूसरी ओर निर्दोष लोगों की हत्याएँ एवं बच्चों का शोषण जो पिता ईश्वर के प्रतिरूप में बनाये गये मानव जाति के विरूद्ध अपवित्रीकरण है।

संत पापा ने बतलाया कि वे प्रत्येक 15 अथवा 20 दिनों में मेल-मिलाप संस्कार ग्रहण करते हैं क्योंकि उन्हें भी अपने पापों की क्षमा एवं ईश्वर की करुणा की आवश्यकता है।

संत पापा ने अपने जीवन में ईश्वर की दयालुता का पहला अनुभव बतलाते हुए कहा कि जब वे 17 साल के थे तब बोयनोस आयरेस में मेल-मिलाप संस्कार ग्रहण कर वापस लौटते समय उन्होंने प्रेरणा प्राप्त की कि ईश्वर उन्हें समर्पित जीवन के लिए बुला रहे हैं।

संत पापा ने नारी में कलीसिया के चेहरे के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि ईश्वर के मातृत्व को समझना आसान नहीं है अतः जब हम ईश्वर की कोमलता को समझने का प्रयास करते हैं तो उन्हें हमारे माता-पिता से तुलना करते हैं। हम यदि इस कोमलता के प्रति उदार हैं तो हम अधिक सहिष्णु, धैर्यवान एवं कोमल बनेंगे तथा लोगों के साथ वस्तुओं की तरह व्यवहार नहीं करेंगे।

संत पापा ने बीमार तथा वयोवृद्ध लोगों का चुम्बन करने के अपने मनोभाव का खुलासा करते हुए कहा कि वे उन्हें उसी तरह देखते हैं जिस तरह माता-पिता अपने नवजात शिशु को। उन्होंने सलाह दी कि करुणा की जयन्ती वर्ष में ईश्वर की करुणा का प्रचार करने के लिए हम प्रत्येक माह कुछ न कुछ ठोस चिन्ह जरूर अपनाएँ।








All the contents on this site are copyrighted ©.