पेरिस, बुधवार, 2 दिसम्बर 2015 (सेदोक): वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस में जारी विश्व शिखर सम्मेलन कॉप 21 के प्रतिनिधि देशों को सोमवार को सम्बोधित करते हुए वैश्विक एकात्मता की भावना में रहकर कार्य करने अनिवार्यता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पेरिस सम्मेलन का फल एक विश्वव्यापी एवं परिवर्तनकारी समझौता होना चाहिये जो एकात्मता, न्याय, समानता एवं भागीदरी पर आधारित हो।
उन्होंने कहा कि इस समझौते को तीन जटिल एवं अन्तरनिर्भर लक्ष्यों की पूर्ति के लिये काम करना चाहियेः जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना, निर्धनता के विरुद्ध संघर्ष करना तथा मानव प्रतिष्ठा के प्रति सम्मान का आश्वासन देना।
कार्डिनल पारोलीन ने कहा कि पेरिस समझौते में विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के प्रति एकात्मता का ख्याल रखते हुए निजी एवं सार्वजनिक अधिकारियों को निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था के मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिये।
नायरोबी की यात्रा के दौरान कहे सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर कार्डिनल पारोलीन ने कहा, "यह अत्यधिक दुःख की बात होगी, और मैं तो यहाँ तक कहूँगा कि विध्वंसकारी होगा, यदि जनकल्याण पर निजी स्वार्थ हावी हो जायें तथा व्यक्तिगत अभिरुचियों एवं स्वार्थों की पूर्ति के लिये सूचनाओं को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाये।"
कार्डिनल महोदय ने कहा कि विश्वव्यापी एवं परिवर्तनकारी समझौते को तीन स्तम्भों पर आधारित होना चाहिये। इनमें सर्वप्रथम है स्पष्ट नैतिक अभिमुखता का वरण जो समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने हेतु व्यक्तियों, समुदायों एवं राष्ट्रों को प्रेरित कर सके।
उन्होंने इस बात का स्मरण दिलाया कि जलवायु परिवर्तन के प्रश्न पर न तो कोई राजनैतिक सीमा है और न ही कोई सामाजिक अवरोध हैं क्योंकि इसकी मार सबसे अधिक निर्धनों पर पड़ती है तथा साथ ही भावी पीढ़ियों के लिये यह एक अपार क्षति है।
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