2015-11-30 12:17:00

ईश प्रेम विनाश को अभिभूत करता है, केन्द्रीय अफ्रीकी लोगों से सन्त पापा


केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र, बांगी, सोमवार, 30 नवम्बर 2015 (सेदोक): बांगी के महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने इस तथ्य पर बल दिया ईश्वर का प्रेम "अभूतपूर्व विनाश" को भी अभिभूत कर लेता है। उन्होंने ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों से आग्रह किया कि वे दया, क्षमा और पुनर्मिलन के अभिनायक बनें। अन्यायपूर्ण संघर्षों में लिप्त लोगों का भी उन्होंने आह्वान किया कि वे शस्त्रों का परित्याग करें तथा यथार्थ शांति हासिल करने के लिये धर्मपरायणता, प्रेम एवं दया के शस्त्रों का वरण करें।     

वाटिकन के अंगरक्षकों एवं मशीनी बन्दूकों से लैस संयुक्त राष्ट्र संघीय शांति रक्षकों से घिरे सन्त पापा फ्राँसिस ने अफ्रीकी राष्ट्रों में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम चरण में रविवार को कहा कि वे केन्द्रीय अफ्रीकी लोगों के लिये शांति की मंगलकामना करते हैं।

कड़ी सुरक्षा के बीच वाटिकन ध्वज के पीले एवं श्वेत रंगों के वस्त्र पहने स्कूली छात्रों एवं पारम्परिक अफ्रीकी परिधान धारण कर केन्द्रीय अफ्रीकी महिलाओं ने वरिष्ठ सरकारी एवं कलीसियाई अधिकारियों के साथ मिलकर सन्त पापा फ्राँसिस का हार्दिक स्वागत किया।

बांगी के महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग के अवसर पर अपने प्रवचन में सन्त पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों को स्मरण दिलाया कि उनकी प्राथमिक बुलाहट शत्रुओं से प्रेम करना तथा साहसपूर्वक क्षमा करते हुए घृणा, हिंसा, उत्पीड़न एवं अन्याय को अभिभूत करना है।

सन्त पापा ने कहा, "ईश्वर सबकुछ से बढ़कर शक्तिशाली हैं और यह विश्वास ईश भक्त को, कठिनाईओं और बाधाओं के बावजूद भलाई करने का साहस एवं शक्ति प्रदान करता है। उन क्षणों में भी जब नर्क की शक्तियाँ उन्मुक्त होती प्रतीत होती हैं, ख्रीस्त के अनुयायियों को ईशादेशों के प्रति सजग रहना चाहिये और गर्व के साथ लड़ाई में मार खाने के लिये तत्पर रहना चाहिये क्योंकि अन्तिम शब्द ईश्वर का होगा और वह शब्द होगा प्रेम।"

युद्ध से संलग्न सभी दलों को विशेष रूप से सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा, "उन सबसे जो विश्व में शस्त्रों का अन्यायपूर्ण प्रयोग करते हैं, मेरी अपील हैः मौत के इन हथियारों का परित्याग करें। इसके बजाय धर्मपरायणता, प्रेम एवं करुणा को आत्मसात करें जो यथार्थ शांति की गारंटी देते हैं।"  

प्रतिशोध की भावना पर विजय पाने का अनुरोध कर सन्त पापा ने कहा, "हमने क्षमा का अनुभव किया है और क्षमा का अनुभव प्राप्त कर लेने के बाद हमें भी अन्यों को क्षमा करने के लिये तत्पर रहना चाहिये।" सुसमाचार में निहित प्रभु ख्रीस्त के शब्दों को उद्धत कर उन्होंने कहा, "अपने शत्रुओं से प्यार करना ज़रूरी है क्योंकि यह हमें बदला लेने के प्रलोभन से बचाता है तथा प्रतिशोधात्मक हिंसा के कभी बन्द न होने वाले चक्र के जाल से निकालता है।" 

बांगी के महागिरजाघर के बाहर भी हज़ारों लोगों ने उपस्थित होकर ख्रीस्तयाग समारोह में भाग लिया। इन्हीं में 50 वर्षीय ब्रिजिट कांगा भी शामिल थीं जिन्होंने सन्त पापा के सन्देश पर टीका करते हुए कहा, "व्यक्तिगत रूप से मैं क्षमा करने के लिये तैयार हूँ, किन्तु जो लोग मुसलमान विद्रोहियों की हिंसा और क्रूरता के शिकार बनें हैं वे क्षमा करने के लिये तैयार होंगे या नहीं यह मैं नहीं जानती।" 

स्मरण दिला दें कि दो वर्ष पूर्व केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र में मुसलमान विद्रोही दलों की एक मिली-जुली पार्टी ने ख्रीस्तीय धर्म के राष्ट्रपति को अपदस्थ कर दिया था जब से ही देश में रक्तपात जारी है। राजधानी बांगी में कुछ दिनों पूर्व उग्रवादी भीड़ मुसलमानों को सड़कों पर पीट रही थी, यहाँ तक कि लोगों के सिर उनके धड़ों से अलग किये जा रहे थे तथा शरीर के विभिन्न अंगों को काट कर फेंक दिया जा रहा था। साम्प्रदायिक हिंसा के परिणामस्वरूप, विगत दो माहों के अन्तर्गत ही, कम से कम, 100 व्यक्तियों की हत्या कर दी गई है।  

सन्त पापा फ्राँसिस की राष्ट्र में उपस्थिति तनावों को कम कर शांति प्रयासों में मदद प्रदान करेगी ऐसी आशा केवल ख्रीस्तीय ही नहीं बल्कि मुसलमान नागरिक भी कर रहे हैं। मुस्लिम समुदाय की आशा है कि सन्त पापा की यात्रा उनकी दयनीय परिस्थिति को बेहतर बना सकेगी। केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र के इस्लामी समुदाय के अध्यक्ष ईमाम ओमर कोबीने लायमा ने कहा कि मुसलमान चाहते हैं कि सन्त पापा उनके लिये प्रार्थना करें क्योंकि इस समय राष्ट्र के इस्लाम धर्मानुयायी वास्तव में बड़ी अनिश्चित्त एवं ख़तरनाक परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे हैं।

इसी बीच, बैंगी के महागिरजाघर के बाहर सन्त पापा फ्राँसिस के आगमन से कुछ ही देर पूर्व एक आश्चर्यजनक दृश्य देखा गया, आदाऊम सिलिक नामक 45 वर्षीय एक मुसलमान व्यक्ति लम्बे श्वेत वस्त्र एवं पारम्परिक मुस्लिम टोपी पहने ख्रीस्तयाग स्थल तक पहुँच गया। हाथों में वह एक पोस्टर लिये था जिसपर लिखा थाः "एक ईश्वर, एक धरती तथा समान पूर्वज"। आदाऊम सिलिक ने महागिरजाघर के प्राँगण में प्रवेश करने के ख़तरे को स्वीकार किया किन्तु कहा, "कभी-कभी हमें साहसी होना पड़ता है।"








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