2015-11-25 10:20:00

बिहार में काथलिकों ने किया धर्मनिर्पेक्ष सरकार का स्वागत


पटना, बुधवार, 25 नवम्बर 2015 (सेदोक): बिहार के ख्रीस्तीय नेताओं ने नव-निर्वाचित सरकार का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की है कि धर्मनिर्पेक्षिता में विश्वास रखने वाले बिहार के मुख्य मंत्री का चुनाव राष्ट्र में बढ़ती चिन्ताजनक ख्रीस्तीय विरोधी भावनाओं के बीच धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहन प्रदान करेगी।

बिहार की विधान सभा की 243 सीटों में से अधिकांश सीटें जनता दल यूनाईटेड पार्टी के नितिश कुमार तथा उनके सहयोगियों द्वारा जीती गई हैं। 20 नवम्बर को नितिश कुमार ने मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण की थी। बिहार में भाजपा को केवल 58 सीटें मिल पाई हैं।

बिहार की राजधानी पटना के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूज़ा ने कहा, "हमारी आशा है कि अब राज्य धार्मिक मैत्री, सहिष्णुता तथा लोगों के संवैधानिक अधिकारों के सम्मान हेतु और अधिक संकल्प के साथ कार्य करेगा।"

इस सप्ताह पटना में प्रान्तीय धर्माध्यक्षों की वार्षिक सभा जारी है जिसके दौरान बिहार के काथलिक धर्माध्यक्ष मुख्यमंत्री नितिश कुमार से भी मुलाकात कर काथलिक समुदाय की उत्कंठाओं को व्यक्त करेंगे।

बक्सर धर्मप्रान्त के प्रवक्ता फादर आनन्द कुमार ने मुख्यमंत्री नितिश कुमार की जीत को हिन्दु बहुल देश में ख्रीस्तीय एवं अन्य अल्पसंख्यकों के लिये एक बड़ी "राहत" निरूपित किया और कहा कि वे चुनावों से पूर्व बहुत चिन्तित थे।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि मुख्यमंत्री नितिश कुमार ख्रीस्तीयों द्वारा  राज्य को दिये जा रहे योगदान को मान्यता प्रदान करेंगे। फादर आनन्द कुमार ने स्मरण दिलाया कि ख्रीस्तीय लोग शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सामाजिक क्षेत्रों में जो सेवाएँ अर्पित कर रहे हैं उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा, "हम आशा करते हैं कि राज्य हमारे कार्यों को पहचानेगा, हमारे प्रति उदार रहेगा तथा हमारे सेवा कार्यों को सकारात्मक समर्थन प्रदान करेगा। विशेप रूप से, हमारे ग्रामीण स्कूलों को मान्यता एवं आर्थिक मदद प्रदान करेगा।"

ग़ौरतलब है कि जिन राज्यों में हिन्दु संगठनों द्वारा समर्थित भाजपा सरकार का शासन है वहाँ मीडिया में पुरोहितों एवं धर्मबहनों के विरुद्ध हिंसा की ख़बरे मिली हैं तथा कई बार मिथ्या आरोपों के आधार पर ख्रीस्तीयों को हिरासत में भी लिया गया है।

इस सन्दर्भ में मुज़्जफरपुर के धर्माध्यक्ष फ्राँसिस ऑस्ता ने कहा कि नई सरकार के समक्ष अब यह चुनौती है कि वह सभी धर्मों के लोगों के बीच शांति एवं मैत्री को कायम रखे तथा सम्पूर्ण भारत के लिये आदर्श प्रस्तुत करे।  








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