2015-11-18 17:00:00

हम सब ईश्वरीय द्वार के सेवक और रक्षक हैं


वाटिकन सिटी, बुधवार 18 नवम्बर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को इतालवी भाषा में  संबोधित करते हुए कहा-

येसु ने कहा मैं ही द्वार हूँ यदि कोई मुझ से हो कर प्रवेश करेगा, तो उसे मुक्ति प्राप्त होगी। वह भीतर-बाहर, आया जाया करेगा और उसे चरागाह मिलेगा। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें और परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें। (यो. 10. 9-10)

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

इन्ही बातों में विश्वास और मनन करते हुए हम जुबली वर्ष में प्रवेश करे। हमारे समक्ष ईश्वरीय करुणा का द्वार खुला है जो हमारे पश्चतापी हृदय के चढ़ावे को क्षमाशीलता से ग्रहण करता है। उदारता में द्वार हमारे लिए खुला है जिसमें हमें साहसपूर्वक प्रवेश करना है।
फिलहाल ही हमने परिवार और कलीसिया से संबंधित धर्माध्यक्षों की धर्मसभा का समापन किया है जहाँ कलीसिया के चरवाहों ने इस दहलीज में प्रवेश करने अपार प्रोत्साहन और समर्थन दिया है। कलीसिया ने अपने द्वारो को खोलने का प्रोत्साहन दिया है जिससे येसु के खोये पुत्र-पुत्रियाँ जो अपने मुश्किल और कठिन परिस्थिति में समय अनिश्चितता के कारण उनसे दूर चले गये और खो गये थे पुनः वापस लौट कर आ सकें। ख्रीस्तीय परिवारों को अपने दरवाजे येसु के लिए खोलने हेतु प्रेरित किया जाता है जिससे वे हमारे घरों में प्रवेश कर हमें अपनी मित्रता की आशीष और कृपादानों से भर दे।

येसु हमारे दरवाजों में प्रवेश करने के लिए जोर जबरदस्ती नहीं करते, वे हमसे अपने प्रवेश करने की अनुमति माँगते हैं जैसे की प्रकाशना ग्रंथ हमें कहता है “देखो मैं तुम्हारे दरवाजे के सामने खड़ा हो कर खटखटाता हूँ। यदि कोई मेरी वाणी सुन कर द्धार खोलेगा, तो मैं उसके यहाँ आ कर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ। (प्रका.3.20) बाईबल की यह अंतिम पुस्तिका जो ईश्वरीय शहर और महान दर्शनों का जिक्र करते हुए कहता है,“ उसके फाटक दिन में कभी बन्द नहीं होंगे और वहाँ कभी रात नहीं होगी। (प्रका.21.25) दुनिया में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ आप अपने दरवाजों को ताला नहीं लगाते है। लेकिन बहुत से ऐसे स्थान भी हैं जहाँ दरवाजों पर ताला लगाना सामान्य हो गया है। यह हमारे लिए आश्चर्य की बात नहीं है यद्यपि मनन करने पर हमें ये बुराई की निशानी लगते हैं। इस विचार को हम अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक जीवन और सामाजिक शहरी जीवन में लागू करने से न भूले। इस विचार का अनुपालन केवल कलीसिया करे ऐसी स्थिति में यह बहुत दुर्गति की बात होगी। एक कलीसिया जो विश्वासियों का स्वागत नहीं करती और एक परिवार जो अपने दरवाज़ों को बन्द कर देता है वह सुसमाचार के संदेश को अपने जीवन में ग्रहण करने हेतु तैयार नहीं है और इस तरह संसार मुरझा जाता है।

हमारे प्रतीकात्मक “द्वार” दहलीज, रास्ते और चौराहों का प्रबंधन आज निर्णायक हो गया है। हमारे दरवाजों की सुरक्षा ज़रूरी है लेकिन हमें इसे खारिज नहीं करना है। द्वार में हम जोर जबरदस्ती नहीं कर सकते लेकिन इसके विपरीत हमें अनुमति माँगने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे आतिथ्य की चमक हमारी स्वतंत्र स्वीकृति में होती है और इसके विपरीत अहंकार और आक्रमण में यह अंधकारमय हो जाता है। हमें अपने दरवाज़ों को खुला रखना है यह देखने के लिए की कोई बाहर तो नहीं जो हमारी राह देख रहा है जिसे अन्दर आने का साहस नहीं, शायद दस्तक देने का भी साहस नहीं। प्रवेश द्वार हमारे घरों और कलीसिया के बारे में बहुत सारी चीजों को कहता है। हमारे दरवाज़ों के प्रबंधन हमारी सतर्कता पूर्ण आत्मा परीक्षण की बात कहते हैं और साथ ही हम में आत्मा विश्वास के भाव को जागृरित करते हैं। मैं उन सबों को अपनी कृतज्ञता अर्पित करता हूँ जिन्होंने अपने द्वार जरूरतमंद के लिए खोल रखा है। प्रवेश मात्र ही बहुधा हमारी प्रज्ञा और दयालुता के कारण दूसरों को आनंद और मानवता की झलक देती है।

वास्तव में, हम सब ईश्वरीय द्वार के सेवक और रक्षक हैं और येसु हमारे जीवन के द्वार को प्रकाशित करते हैं। उन्होंने स्वयं कहा है, “मैं ही द्वार हूँ यदि कोई मुझ से हो कर प्रवेश करेगा, तो उसे मुक्ति प्राप्त होगी। वह भीतर-बाहर आया-जाया करेगा और उसे चरागाह मिलेगा।” येसु वह द्वार हैं जिसके द्वारा हम प्रवेश करते और बाहर निकलते हैं क्योंकि चरागाह हमारे लिए कैदखाना नहीं वरन् निवास स्थल है। वे सब चोर हैं जो दवार से प्रेवश नहीं करते क्योंकि उनकी मनसा ठीक नहीं है वे गुप्त रुप से चरागाह में आते क्योंकि वे भेड़ों को धोखा देना और उनसे फायदा उठाना चाहते है। हमें दरवाजे से जाना और येसु की बातों को सुनना है और यदि हम येसु की बातों को सुनते तो हम हमेशा सुरक्षित रहते है। हम भयमुक्त निकल घूँस सकते हैं। येसु के इन सुन्दर वचनों में रखवाले के लिए भी बात कही गयी है जिसे अच्छा चरवाहा बनना है। भेड़ें चरवाहे को नहीं चुनती है वरन चरवाहा उन्हें चुनता है। देखरेख करने वाला रखवाला भले गरेड़िये की बात को सुनता है। यहाँ हम कह सकते हैं कि हमें रखवाले के समान होने की आवश्यकता है क्योंकि कलीसिया, येसु के घर की देख रेख करने का जिम्मा उसे सौंपा गया है।

नाजरेत के पवित्र परिवार को यह मालूम है कि द्वार खोलने और बंद करने का क्य़ा मतलब है जो की अपने बच्चे का इंतजार करते, जो बिना निवास स्थान के हैं जो मुश्किलों से बचकर बाहर निकले हैं। ख्रीस्तीय परिवार अपने छोटे चौखट को दया और सेवा का विशाल द्वार बनाते हैं जिसे की कलीसिया सारे संसार में एक ईश्वरीय रखवाले के रुप में जानी जा सकें जो हमारे दरवाज़ों को खटखटाते हैं। आप जो उन्हें स्वीकार करने के लिए बुलाये गये हैं अपने दरवाजे यह कहते हुए बंद न करे कि हमारे पास जगह नहीं है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सब का अभिवादन करते हुए कहा मैं इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका से आये आप सब दर्शकों, तीर्थयात्रियों और अंग्रेजी बोलने वाले आगंतुकों का अभिवादन करता हूँ। मेरा विशेष अभिवादन एल शादाई प्रार्थना समुदाय और ईभान्स सोसायटी के आर्थोपेडिक सर्जन को जाता है। आपको और आपके परिवार को सर्वशक्तिमान ईश्वर खुशी और शांति से भर दे। भगवान आप सब का भला करे। इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया। 








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