2015-11-07 16:31:00

व्यक्ति होने की वास्तविकता का पूर्णता अनुभव है विश्राम


वाटिकन सिटी, शनिवार, 7 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में शनिवार 7 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने ‘सामाजिक सुरक्षा के राष्ट्रीय संस्थान’ के 23,000 अधिकारियों और कर्मचारियों से मुलाकात कर देश में उनके योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, ″आप कई स्तरों पर, कार्यों को पूरा करने से संबंधित अधिकारों की रक्षा का सम्मान करते हैं। यह अधिकार मानव व्यक्ति के स्वभाव तथा उसकी उत्कृष्ट प्रतिष्ठा पर आधारित है। विश्राम के अधिकार की रक्षा, जो खास तौर से, आप के जिम्मे में सौंपा गयी है।″ 

उन्होंने कहा कि मैं केवल उस विश्राम की बात नहीं कर रहा हूँ जो सामाजिक लाभ की विस्तृत श्रृंखला द्वारा समर्थन तथा वैधता प्राप्त है किन्तु मानवीय आयाम जिसका मूल आध्यात्मिकता है।

संत पापा ने विश्राम का गूढ़ अर्थ बतलाते हुए कहा कि विश्राम का दिन ईश्वर ने ही ठहराया और खुद सातवें दिन विश्राम किया। यह विश्वास की भाषा है अतः मानवीय होते हुए भी ईश्वरीय है। यह एक अद्वितीय विशेषाधिकार के साथ न केवल श्रम से बचना एवं सामान्य स्थिति में रहना है किन्तु एक ऐसा समय है जब अपने सृष्ट होने की वास्तविकता को पूर्णता अनुभव करना एवं ईश्वर द्वारा सम्मानित किये जाने का एहसास करना है।

संत पापा ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज को आप कई तरह से अपना योगदान देते हैं, समाज के कल्याण की रक्षा तथा वास्तविक मानवीय आयाम के नींव की स्थापना में मदद, जिससे कि ईश्वर तथा एक-दूसरे के साथ मुलाकात को सम्भव बनाया जा सके।

संत पापा ने उनके कर्तव्यों की याद दिलाते हुए कहा कि अपने इस जिम्मेदारी में महिलाओं के कार्यों तथा उनके मातृत्व के निर्वाहन पर ध्यान देना न भूलें। वयोवृद्धों, बीमारों तथा काम के दौरान घायल लोगों की अवहेलना न करें। प्रत्येक कर्मचारी के सर्वोत्तम प्रतिष्ठा का ख्याल रखें। उनके समर्पण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दें।

संत पापा ने कहा कि काम का अर्थ है ईश्वर के कार्य को आगे बढ़ाना। कार्य के समर्थन द्वारा उसी काम को समर्थन देना है। वास्तव में, काम विकृत तंत्र में दाँत के समान नहीं होना चाहिए जो लाभ की आशा में श्रमिकों को चबा जाते हैं।

संत पापा ने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सलाह दी कि वे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को न भूल जाएँ। मानवता के प्रति प्रेम एवं उसकी सेवा के लिए विवेक, जिम्मेदारी एवं उपलब्धता के अपने कर्तव्यों को पूरा करें। काम करने वालों का समर्थन करें तथा उन लोगों की मदद करें जो काम करना चाहते किन्तु कर नहीं पाते। कमजोर लोगों की सहायता करें क्योंकि मानव जीवन जीने की स्वतंत्रता के अधिकार से कोई भी वंचित नहीं है।








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