2015-11-06 15:01:00

ख्रीस्तीय सेवा कराने नहीं सेवा करने के लिए बुलाये गये हैं


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 6 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″धर्माध्यक्ष एवं पुरोहित दोहरी जिंदगी के प्रलोभन पर विजय पायें। कलीसिया सेवा के लिए बुलायी गयी है न कि व्यवसाय के लिए।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

शुक्रवार को प्रवचन में संत पापा ने सेवा के ख्रीस्तीय सदगुण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत पौलुस ने सेवा के खातिर अपना सब कुछ अर्पित कर दिया था। संत पापा ने कहा कि एक ख्रीस्तीय सेवा करने के लिए बुलाया जाता है दूसरों पर अधिकार जताने के लिए नहीं। उन्होंने कहा, ″सेवक ही सेवा कर सकता है। जो आदेश का पालन करता, मंच सजाता तथा येसु ख्रीस्त की घोषणा करता है किन्तु उस पद पर अधिकारी के रूप में सेवा पाने के लाभ से अपने को वंचित नहीं रखता है तो वह एक मंत्री है। सेवक सेवा करने के लिए होता है उसका फायदा पाने के लिए नहीं।″

संत पापा ने सेवा कार्य को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि जब लोग अभिवादन करते हुए बतलाते हैं कि उन्होंने कई वर्षों तक सेवा प्रदान की है तो यह सुन कर उन्हें बड़ी खुशी होती है। संत पापा ने नर्सों की प्रसन्नचित सेवा की सराहना करते हुए कहा कि यही कलीसिया का आनन्द है अपने से बाहर आकर जीवन अर्पित करने का आनन्द।

संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार पर चिंतन करते हुए कहा कि प्रभु एक अन्य प्रकार के सेवक की छवि प्रस्तुत करते हैं जो अत्यन्त चालाक है तथा अपना पद बनाये रखने के लिए बड़ी चालाकी से काम करता है। उन्होंने कहा कि कलीसिया में भी ऐसे लोग हैं जो सेवा करने के बजाय धन पर आसक्त रहते हैं। उन्होंने कहा कि उन पुरोहितों एवं धर्माध्यक्षों को याद करना कितना निराशाजनक है जो धन से आसक्त होते हैं जबकि सुसमाचार का मौलिक स्वभाव तथा येसु के बुलावे का मुख्य उद्देश्य सेवा करना है।  

संत पापा ने कलीसिया को चुनौती देते हुए कहा कि जो कलीसिया सेवा नहीं करती वह मुनाफाखोर है। जब कलीसिया गुनगुना, आत्म केंद्रित तथा मुनाफाखोर हो जाती है तब यह अपने उद्देश्य को धूमिल कर देती है। संत पापा ने प्रार्थना की कि ईश्वर हमें कृपा प्रदान करे ताकि हम संत पौलुस की तरह सेवा के लिए अपना आराम और सबकुछ त्याग सकें।








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