2015-11-05 15:43:00

येसु हमें एक परिवार में लाना चाहते हैं


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″ख्रीस्तीय किसी के लिए द्वार बंद नहीं करते, यद्यपि यह प्रतिरोध का कारण बन जाए। बहिष्कार कौन करता है जो अपने को बेहतर समझता है जो तनाव तथा विभाजन पैदा करता किन्तु हम सभी को एक दिन ईश्वर के न्यायासन के सम्मुख उपस्थित होना होगा।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रवचन में रोमियों के नाम लिखे संत पौलुस के पत्र पर चिंतन किया जहाँ संत पौलुस विश्वासियों से आग्रह करते हैं कि वे अपने भाइयों का न्याय एवं तिरस्कार न करें क्योंकि यह उन्हें चयनात्मक बनकर समुदाय से बाहर करने हेतु प्रेरित करता है जो एक ख्रीस्तीय का मनोभाव नहीं है।

संत पापा ने कहा, ″सदुकियों एवं फरीसियों का मनोभाव इसी तरह का था। वे अपने को पूर्ण समझते थे क्योंकि वे संहिता का पालन करते थे जबकि नाकेदारों को वे पापी समझाते थे।″ उन्होंने कहा कि येसु के मनोभाव उनसे भिन्न थे, उनके मनोभाव समावेशी थे।

जीवन में दो रास्ते हैं, समुदाय से लोगों का बहिष्कार करने का रास्ता तथा समावेशी का रास्ता। संत पापा ने कहा कि पहला रास्ता भले ही छोटा जान पड़े किन्तु यह सभी युद्धों की जड़ है। युद्ध और विनाश बहिष्कार की भावना से ही शुरू होता है। यह हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय और साथ ही परिवार तथा मित्रों के बीच से भी अलग कर देता है जबकि दूसरा रास्ता, हमें येसु की शिक्षा के अनुसार बहिष्कार नहीं करने की प्रेरणा देता है।

संत पापा ने कहा कि सभी लोगों के साथ समावेशी व्यवहार करना आसान नहीं है क्योंकि चयनात्मक मनोभाव प्रबल है। इसीलिए येसु हमें खोई हुए भेड़ एवं खोया हुआ सिक्का का दृष्टांत सुनाते हैं। दोनों ही दृष्टांतों में हम देखते हैं कि चरवाहा तथा महिला दोनों अपनी खोई हुई चीजों को प्राप्त करने के लिए सब कुछ करने को तैयार हो जाते हैं तथा उन्हें पा लेने पर आनन्द से फुले नहीं समाते।

संत पापा ने कहा कि येसु पिता द्वारा हमें बचाने के लिए भेजे गये हैं जो हमें एक परिवार में लाना चाहते हैं। उनका अनुसरण करते हुए हम अपने हृदय में, प्रार्थना, मुस्कान तथा अवसर मिलने पर अपने मधुर वचन द्वारा लोगों को अपने साथ होने का एहसास दें। हम दूसरों का न्याय कभी न करें क्योंकि इस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। हम प्रत्येक को ईश्वर के न्यायिक सिंहासन के सामने प्रस्तुत होना होगा। अतः हम ईश्वर से कृपा की याचना करें कि सभी के प्रति समावेशी भावना रख सकें तथा दूसरों के प्रति अपना हृदय द्वार खुला रख सकें।








All the contents on this site are copyrighted ©.