2015-11-04 17:32:00

दुनिया में जीवन प्यार के अभाव में यदाकदा मरुस्थल बन जाता है


वाटिकन सिटी, बुधवार 04 नवम्बर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में  संबोधित करते हुए कहा-

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

परिवार विषय पर विश्व महाधर्माध्क्षीय धर्मसभा जो हाल ही में समाप्त हुई कलीसिया और समकालीन समाज के प्रति परिवार की बुलाहट और उसके प्रेरितिक कार्यों पर गहराई से विचार मंथन किया। यह हमारे लिये कृपा का समय था। मेरी यह तीव्र अभिलाषा थी कि दो वर्ष का सामूहिक विचार मंथन हमारा कार्य धर्मपत्र के रूप में शीघ्र प्रकाशित हो। यह निष्कर्षों की जाँच पड़ताल करने का समय नहीं है जिस पर मैंने स्वयं मनन किया है।

यद्यपि हमारा जीवन, विशेषकर, पारिवारिक जीवन रुकता नहीं है। परिवारों के, मेरे प्रियों आप का जीवन निरंतर आगे बढ़ता जाता है जिसमें आप अपने जीवन की किताब में सुसमाचार की मनोरम बातों को लिखते हैं। दुनिया में जीवन जो प्यार के अभाव में यदाकदा मरुस्थल बन जाता है आप अपने वैवाहिक जीवन में सुन्दर चीजों के आदान-प्रदान द्वारा इसे महान बनाते हैं।

आज मैं इस बात की ओर आप सबका ध्यान आकर्षित करना चहूँगा कि परिवार एक वृहद व्यायामशाला है जहाँ हम मेहनत करते हैं, जीवन के उपहार को आपसी क्षमा के रूप में एक दूसरे को देते हैं जिसके बिना जीवन सुचारु रुप से नहीं चल सकता। येसु ने हमें अपनी प्रार्थना, “हे पिता हमारे”  में स्वयं सिखाया है “हमारे पापों को क्षमा कर, जिस तर्ज पर हम अपने अपराधियों के पापों को क्षमा करते हैं।” इस प्रार्थना के अन्त में वे कहते हैं, “यदि तुम दूसरों के अपराध क्षमा करोगे तो स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराधों को क्षमा करेंगे, लेकिन यदि तुम दूसरों के अपराध को क्षमा नहीं करोगे तो पिता तुम्हें भी पापों से मुक्त नहीं करेंगे।”(मती.6.14-15) क्षमा के बिना हम परिवार में जीवित नहीं रह सकते। हम परिवार में प्रतिदिन एक दूसरे की गलतियों और त्रुटियों का हिसाब रखते हैं और ऐसा इसलिये होता है कि हम अपने में तुनुकमिजाजी, कमजोर और स्वार्थी हैं। हमारे लिये आज आवश्यक यह है कि हम अपने घावों को ठीक करें और अपने दिल के टूटे संबंधों को शीघ्र अति शीघ्र ठीक कर लें क्योंकि यदि हम लम्बे समय तक इन्तजार करते तो सभी चीज़ें हमारे लिये अधिक कठिन हो जाती हैं। हमारे लिये अपने घावों से चंगाई प्राप्त करने की दवा यह है कि हम प्रतिदिन अपने किये गये गलतियों के लिये एक दूसरे से क्षमा की याचना करें, पति-पत्नी के बीच, माता-पिता और बच्चों के बीच, सास और बहू के बीच कोई भी ऐसा दिन न बीते जहाँ हम बिना शांति स्थापित किये आगे बढ़ें। यदि हम अपने किये गये गलतियों के लिए शीघ्र ही एक दूसरे से क्षमा की याचना करते और क्षमा देते हैं तो यह हमारे घावों को ठीक कर देता जिसके फलस्वरूप वैवाहिक जीवन और परिवार अपनी मजबूती में बढ़ते और इस तरह हम अपनी त्रुटियों और बड़ी दुष्टता से बचे रहते हैं।

यदि हम एक परिवार की तरह जीना सीखते हैं जो हम अपने जीवन को कही भी रहकर जी सकते हैं। इसके बारे में हम शक्की हो जाते हैं क्योंकि हममें से बहुत कोई कहते हैं कि ये वचन सुनने को अच्छे लगते हैं लेकिन इसे जीवन में जी पाना असंभव है। ईश्वर को धन्यवाद क्योंकि ऐसा नहीं है। वास्तव में ईश्वर हमारे पापों को क्षमा करते हैं जिसके कारण हम दूसरों को क्षमा करने के योग्य बनते हैं। यही कारण है कि येसु हमें अपने वचनों को रोज दिन दोहराने को कहते जब-जब हम उनकी प्रार्थना को उच्चारते हैं। यह सच है की परिवार में कठोरता आ जाती हैं लेकिन हमें एक-दूसरे को माफ करने सीखना है।

धर्मसभा ने हमारे इस आशा और विश्वास को पुर्नजागरित कर दिया है कि परिवार का प्रेरितिक कार्य क्षमा माँगना और क्षमा देना है। परिवार में हमारा एक दूसरे को माफ करना न केवल हमारे परिवारों को टूटने से वरन् हमें गरीब और क्रूर होने से बचाता है। जी हाँ, हर क्षमा देने का कार्य हमारे घरों की दरारों को मरम्मत करता और दीवारों को मजबूत बनाता है। प्रिय परिवारों, कलीसिया सदैव आप के निकट है और आप के परिवार की नींव को चट्टान में स्थापित करने हेतु वचनबद्ध है जिसकी  चर्चा येसु करते हैं। आप दृष्टान्त के उन वचनों को न भुले, “जो लोग प्रभु, प्रभु कह कर पुकारते हैं, उन में सब के सब स्वर्ग राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही स्वर्गराज्य में प्रवेश करेगा।” उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, प्रभु क्या हमने आपका नाम ले कर अपदूतों को नहीं निकाला? आपका नाम लेकर बहुत से चमत्कार नहीं दिखाये? तब मैं उन से साफ-साफ बता दूँगा, मैं तुम लोगों को कभी नहीं जाना। (मती.7.21-23) यह हमारे लिये कठोर वचन है जो हमें हिला देते और परिवर्तन का आह्वान करते हैं।

मैं आश्वासन देता हूँ मेरे प्रिय पारिवारिक भाइयो और बहनो, यदि आप धन्यताओं के मार्ग पर चल सकें, एक-दूसरे को क्षमा का पाठ पढ़ा सकें तो परिवार रूपी माता कलीसिया ईश प्रेम का साक्ष्य बनेगी।

सच्चा ख्रीस्तीय परिवार, समाज और पूरी कलीसिया का बहुत बड़ा कार्य सकता है। अतः आप सब को अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ कि करुणा की जयन्ती वर्ष आप के परिवार में क्षमा को अमूल्य निधि के रूप में प्राप्त करे। हम प्रार्थना करें की परिवार आपसी प्रेम और मिलन के सुन्दर रास्ते में अग्रसर होते जायें और कोई अपने को परिवार से बिछुड़ा न पाये।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सब के साथ मिल कर येसु ख्रीस्त के द्वारा सिखाई प्रार्थना “हे पिता हमारे” का पाठ किया और सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।








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