2015-10-20 11:59:00

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ग़ैर हिन्दू गतिविधियों से हटाया प्रतिबन्ध


रायपुर, मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015 (एशियान्यूज़): छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने, ग़ैर हिन्दू मिशनरियों की गतिविधियों पर विगत वर्ष से लगे प्रतिबन्ध को हटा दिया है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बस्तर ज़िले में विगत वर्ष मिशनरी गतिविधियों पर लगाये प्रतिबन्ध को धर्म पालन एवं प्रचार के मूलभूत अधिकार का अतिक्रमण बताकर इसे हटा दिया है।

छत्तीसगढ़ ख्रीस्तीय मंच तथा अन्य ख्रीस्तीय संगठनों द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला देते हुए न्यायमूर्ति मोहन मनीन्द्र श्री वास्तव ने उक्त प्रतिबन्ध को हटा दिया है।

ग्लोबल काऊन्सल ऑफ इन्डियन क्रिस्टियन्स जीसीआईसी ने हाई कोर्ट के इस फ़ैसले का स्वागत किया है। जीसीआईसी के अध्यक्ष डॉ. साजन के. जॉर्ज ने एशियान्यूज़ से कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता भारतीय संविधान में प्रत्याभू अधिकार है जो भारत के सभी नागरिकों को प्राप्त है किन्तु, कमज़ोर ख्रीस्तीय समुदायों को क्रमबद्ध ढंग से इस अधिकार से वंचित रखा जाता रहा है।"

ग़ौरतलब है कि जुलाई 2014 में बस्तर ज़िले की ग्राम सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर सभी ग़ैर हिन्दू मिशनरी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। यह दलील दी गई थी बलात धर्मान्तरण को रोकने के लिये यह अनिवार्य था।

छत्तीसगढ़ राज्य में सन् 2006 से ही धर्मान्तरण विरोधी कानून लागू है जिसके तहत धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को ज़िलाधीश से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है।

साजन के. जॉर्ज ने कहा, "छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के विरुद्ध चरमपंथी हिन्दू दलों के हमले चिन्ता का कारण हैं। ख्रीस्तीयों का सामाजिक एवं आर्थिक बहिष्कार किया जाता है, उन्हें भेदभाव का शिकार बनाया जाता तथा अपने घरों में प्रार्थना नहीं करने दिया जाता है। प्रायः उनके लिये जल एवं खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बन्द कर दी जाती है।"

उन्होंने इस बात पर भी घोर चिन्ता व्यक्त की कि हिन्दू चरमपंथी "घर वापसी" योजना के तहत ख्रीस्तीयों को बलात हिन्दू धर्म अपनाने के लिये बाध्य कर रहे हैं।    








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