2015-10-19 12:49:00

महत्वाकांक्षा और पेशावाद ख्रीस्तीय शिष्यत्व के साथ असंगत


वाटिकन सिटी, सोमवार, 19 अक्टूबर 2015 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार को ख्रीस्तयाग अर्पित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने चार धन्य आत्माओं को सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया। ये हैं सन्त विन्सेन्ट ग्रॉसी, धर्मबहन सन्त मेरी तथा लिज़िये की सन्त तेरेसा के माता-पिता लूईस मारटेन और मरिया आज़ेलिया ग्वेरिन।

इस अवसर पर सन्त पापा ने अभिभावकों से अनुरोध किया कि वे सन्त तेरेसा के माता-पिता के समान ही अपने परिवारों में सेवाभाव के मूल्यों को पोषित करें तथा घर में विश्वास एवं प्रेम के वातावरण को बनायें रखें।

सेवाभाव के मर्म को समझाते हुए सन्त पापा ने कहा, "सत्ता की सांसारिक समझदारी तथा प्रभु येसु के आदेशानुसार निःस्वार्थ सेवा के बीच कोई संगति नहीं है। महत्वाकाँक्षा एवं पेशावाद ख्रीस्तीय शिष्यत्व के साथ मेल नहीं खाते; यश, गौरव, सफलता, नाम एवं सांसारिक विजय क्रूसित ख्रीस्त की तर्कणा के साथ असंगत हैं। इसके विपरित, "पीड़ा और दर्द के पुरुष"  येसु ख्रीस्त एवं हमारे दुःख कष्टों के बीच संगति है।"

उन्होंने कहा, "सेवक किसी को शानदार वंश का सदस्य नहीं होता बल्कि सेवक तिरस्कृत एवं परित्यक्त व्यक्ति होता है, वह क्रूसित येसु की तरह पीड़ा सहनेवाला होता है। वह न तो महान कार्य करता और न ही यादगार भाषण देता है अपितु अपनी विनम्रता एवं उदारता के द्वारा केवल ईश इच्छा को पूरी करता है। उसका मिशन पीड़ा में ही सम्पादित होता है और इसी वजह से दुःख कष्टों में पड़े लोगों के प्रति उसमें गहन समझदारी का भाव विद्यामान रहता है।"

प्रभु येसु के दुखभोग, क्रूसमरण एवं पुनःरुत्थान के सन्दर्भ में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि मृत्यु तक प्रभु के सेवक का परित्याग एवं उनकी पीड़ा इतनी फलदायी सिद्ध हुई कि उससे बहुतों को मुक्ति मिली।   








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