2015-10-17 17:36:00

सिनॉड का 11 वाँ दिन, प्रेस सम्मेलन


वाटिकन सिटी, शनिवार, 17 अक्तूबर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन में शुक्रवार 16 अक्टूबर को धर्माध्यक्षीय धर्मसभा पर प्रेस सम्मेलन में अंगलिकन कलीसिया के प्रतिनिधि कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष टिम थॉर्नटन तथा कोन्स्टनटिनोपॉल कलीसिया का प्रतिनिधित्व करते हुए एस्तोनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष स्टेफनोस ने भाग लिया।

प्रेस सम्मेलन में अपना विचार प्रस्तुत करते हुए प्राधिधर्माध्यक्ष थॉर्नटन ने वर्तमान युग में आदर्श परिवार के निमार्ण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ″हम किस तरह व्यक्ति को येसु का शिष्य होने के लिए प्रोत्साहन दे सकते हैं?″ उन्होंने कहा कि जब हम व्यक्ति को शिष्य होने का अर्थ समझाने का प्रयास करते हैं तब हम उसके परिवार पर ग़ौर करते हैं जो उसका मूल स्थान है और मेरे विचार से यही एक सही रास्ता एवं लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि सिनॉड के प्रतिभागियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है स्थानीय एवं विश्वव्यापी कलीसिया के बीच तनाव क्योंकि कुछ मुद्दों को स्थानीय स्तर पर अधिक सुगमता से सुलझाया जा सकता है।

प्राधिधर्माध्यक्ष स्तेफनोस ने कहा कि सिनॉड एक सकारात्मक अनुभव रहा। उन्होंने कहा कि इसमें असाधारण कार्य किये गये हैं तथा कई समस्याओं का निराकरण किया गया है। उन्होंने कहा, ″जो समस्या आप झेल रहे हैं वे हमारी समस्याओं से भिन्न नहीं हैं। हम सभी खोज में लगे हैं।″ उन्होंने कहा कि कोई भी उत्तर सहज नहीं था किन्तु कलीसिया को जटिल प्रश्नों से जूझ कर पार होना है।

ऑथोडोक्स कलीसिया में तलाक शुदा तथा पुनर्विवाहित लोगों के लिए यूखरिस्त लेने की अनुमति पर एस्तोनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष स्तेफानोस ने ‘पश्चाताप का रास्ते’ सुझाया। उन्होंने कहा कि सिनॉड में ‘संस्कारों के मानवीय आयाम’ को बेहतर समझदारी मिली है। उन्होंने कहा कि धर्मसभा म यह भी स्पष्ट हुआ है कि ईश्वर की कृपा में सभी लोगों के लिए स्थान सुनिश्चित है अतः करुणा की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। 

कार्डिनल वाल्टर कास्पर ने प्रस्ताव रखा था कि कलीसिया पूर्वी रीति की कलीसियाओं की ओर दृष्टि डाले तथा तलाक शुदा एवं पुनर्विवाहित लोगों को यूखारिस्त ग्रहण करने की अनुमति पर रोक के मुद्दों से निपटने हेतु रास्ता खोजें।

थॉर्नटन ने कहा कि अंगलिकन कलीसिया ने अब तक विवाह की परम्परागत समझ को बनाये रखा है। उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक एवं प्रेरितिक कार्यों के बीच कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है अतः दोनों को पुनः व्यापक ईशशास्त्रीय पृष्ठभूमि में देखे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश ‘इंस्त्रुमेंतुम लावोरिस’ में विवाह के ऐतिहासिक संदर्भ की कमी है क्योंकि कलीसिया में विवाह संस्कार का क्षेत्र व्यापक नहीं था। इसकी शुरूआत बाद में हुई जब विवाहित दम्पति कलीसिया में आशीष हेतु आने लगे।

प्रेस सम्मेलन में बतलाया गया कि सिनॉड के अंतिम दो सत्र अधिक भावपूर्ण रहे जब धर्माध्यक्षों ने अपने प्रेरितिक क्षेत्रों से विश्वासियों द्वारा प्राप्त पत्रों को प्रस्तुत किया।

धर्माध्यक्षों के व्याख्यानों में कई अन्य विषयों को प्रस्तुत किया गया जैसे जनन तथा गर्भनिरोधक आदि। विवाह की शून्यता की प्रक्रिया पर संत पापा फ्राँसिस द्वारा लाये गये परिवर्तन, हिंसा, परिवारों में अनाचार और यौन शोषण, मौन शहादत, वयोवृद्धों की देखभाल तथा सामाजिक मूल्यों आदि। उन्होंने कहा कि माता-पिता का प्रशिक्षण आवश्यक है क्योंकि वे नयी पीढ़ी का निर्माण करते हैं।

सिनॉड के प्रतिभागियों के सामने तीन रास्ते प्रस्तुत किये गये, बिलकुल परिवर्तन नहीं, कार्डिनल वाल्टर कास्पर द्वारा प्रस्तावित ‘पश्चाताप के रास्ते’ को अपनाना अथवा कलीसिया की वर्तमान स्थिति को सुदृढ़ करते हुए उसपर मज़बूती से खड़ा होना।

प्राधिधर्माध्यक्ष स्तेफानोस ने सिनॉड पर मीडिया के रिर्पोटों को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि मीडिया में सकारात्मक बातों की अपेक्षा अपमानजनक बातों की खोज की ओर झुकाव अधिक दिखाई पड़ा।

महाधर्माध्यक्ष थॉर्नटन ने कहा कि सिनॉड में उन्हें विस्थापन तथा ग़रीबी जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों की आशा थी जबकि तलाक तथा पुनर्विवाह का मामला ही बड़ा मुद्दा रहा।

वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदरिको लोम्बारदी ने कहा कि उन्होंने सिनॉड में ‘साथ देने’ के शब्द को कई बार सुना था। कलीसिया को व्यक्ति, दम्पति तथा परिवारों को साथ देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि परिवार का निर्माण एक दूसरे का साथ देने के लिए होता है क्योंकि ऐसा करने के द्वारा वे अपने परिवारों के लिए मिशनरी बनते हैं। 








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