नई दिल्ली, शनिवार,17 अक्तूबर 2015, (ऊका न्यूज) भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों के सम्मेलन ने वकीलों की एक टीम का गठन किया है जो सरकार द्वारा निधार्रित गोद लेने की प्रक्रिया के संबंध में जाँच पड़ताल करेगी विदित हो की मिशनरी ऑफ चैरिटी धर्म समाज की बहनों ने अपने संस्थानों से गोद देने की प्रक्रिया को बन्द कर दिया है।
ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह धर्मसमाज ने अपने गोद लेने वाले संस्थानों को यह कहते हुए बन्द कर दिया कि सरकार द्वारा निधारित कुछ निर्देशों के संपादन में उन्हें कठिनाई का समाना करना पड़ रहा है। धर्मसमाज की सिस्टरों ने बतलाया कि नये दिशा-निर्देश स्थापित और व्यापक रूप से स्वीकृत सिद्धान्तों के विरुद्ध हैं जो नैतिकता और मानव की गरिमा के सिद्धान्तों के खिलाफ है।
प्रेस विज्ञाप्ति के दौरान यह कहा गया कि एकल माता-पिता के गोद लेने की प्रक्रिया अस्वीकार्य है क्योंकि यह गोद लेने के उद्देश्य के विरुद्ध है, कारण की बच्चे के लालन-पालन में बहुत सारी कठिनाइयों के समाना करना पड़ता है। गोद लेने वाले माता पिता को छः बच्चे दिखाये जायें और उनमें से वे किसी एक का चुनाव करें, यह बच्चों को चीज-वस्तुओं के समान पेश करना है जो मानवता के खिलाफ है।
सीबीसीआई के धर्माध्यक्षों ने नई दिल्ली में चल रही अपनी बैठक में बृहस्पतिवार को धर्मसमाज की इन बातों का पूर्ण समर्थन करते हुए धर्माध्यक्ष सम्मेलन के सचिव महाधर्माध्यक्ष अल्बर्ट डीसूजा की अगवाई में कानूनी विशेषज्ञों का एक दल गठित किया है जो दिशा-निर्देशों का अध्ययन करते हुए इस विषय पर सुझाव प्रस्तुत कर सके।
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