2015-10-16 14:02:00

शिक्षक एवं चरवाहे की तरह धर्माध्यक्ष परिवारों का स्वागत करें


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 16 अक्टूबर, 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन के सिनॉड हॉल में परिवार पर चल रहे विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के दूसरे सप्ताह के समापन एवं तीसरे सप्ताह में प्रवेश की तैयारी पर धर्माचार्यों ने दर्जनों व्यवधानों का सारांश प्रस्तुत किया जिसपर वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदरिको लोम्बरदी ने बृहस्पतिवार 15 अक्टूबर को प्रेस सम्मेलन में ‘असम्भव प्रेरिताई’ पर विचार स्पष्ट किया।

वाटिकन सूत्रों के अनुसार शुक्रवार का दिन सिनॉड पर कार्य किये जा रहे दस्तावेज के तीसरे भाग की प्रस्तुति का अंतिम दिन है। उन्होंने कहा कि धर्माचार्य अपने छोटे दलों में वापस जाने के पूर्व विवाह एवं पारिवारिक जीवन के दस्तावेजों पर पुनः आखिरी नजर डालना चाहते हैं।

वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदरिको लोम्बरदी ने सिनॉड के आरम्भ से अब तक हुए कार्यों पर सरसरी निगाह डालते हुए कहा कि संत पापा फ्राँसिस ने सिनॉड के पहले रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान करुणा पर कार्डिनल कास्पर द्वारा लिखे ‘द वे ऑफ जीज़स ऑर द वे ऑफ वाल्टर कास्पर’ नामक किताब का उदाहरण देते हुए करुणा की बात की थी। उन्होंने कहा कि संत पापा ने कार्डिनल कास्पर को सिनॉड में परिवारों की चुनौतियों पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान भी किया था जिसमें उन्होंने करुणा के नये रास्ते की खोज करने तथा तलाक शुदा एवं पुनर्विवाहित लोगों को स्वीकार किये जाने हेतु पश्चाताप एवं मेल-मिलाप का मार्ग अपनाने की सलाह दी थी, जिसको लेकर धर्माचार्यों में मतभेद दिखाई दिया।

इस बात ने उन धर्माध्यक्षों को परेशानी में डाल दिया जिनका विचार है कि यह रास्ता विवाह की अपरिहार्यता को पलट देने के समान है। इस स्थिति को देखते हुए संत पापा ने धर्माध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे इस विषयवस्तु को सिनॉड की एकमात्र विषयवस्तु के रूप में न देखें।

फादर लोम्बारदी ने कहा कि यह बात विगत दो सप्ताह के विचार मंथन के दौरान एक त्रुटि के समान उभर कर सामने आयी क्योंकि कई धर्माध्यक्षों ने अपरिवर्तनीय सच्चाई के बचाव को जोरदार समर्थन दिया जबकि अन्य धर्माध्यक्षों ने पुनर्विवाह तथा समलैंगिक संबंधों के प्रति करूणामय दृष्टिकोण अपनाने का पक्ष लिया।

वाटिकन प्रवक्ता ने जानकारी दी कि दो सप्ताहों के कार्यों की महत्वपूर्ण प्रक्रिया की ओर बढ़ते हुए प्रतिभागियों में, दूरी को पाटने के लिए विभाजन के इस भावना से बाहर आने की बढ़ती चाह देखी गयी जो एक ही सिक्के के दो पहलूओं की स्पष्ट अभिव्यक्ति के समान प्रतीत हुई।

उन्होंने कहा कि जिस तरह येसु एक शिक्षक तथा चरवाहे दोनों हैं तथा संत पापा जॉन 23 वें ने कलीसिया को एक माता एवं शिक्षिका के रूप में प्रस्तुत किया है उसी तरह आज कलीसिया के धर्मगुरूओं को, स्पष्ट धर्मशिक्षा देने के साथ-साथ, उन माता-पिता की भूमिका भी अदा करना सीखना चाहिए जो अपने बच्चों को अनौपचारिक स्नेह तथा स्वीकृति प्रदान करते हैं।

विभिन्न विचारों तथा विवाह एवं परिवार के नियमों में बदलाव की बातों को ध्यान में रखते हुए लातिनी अमरीका के धर्माध्यक्षों ने कहा कि कलीसिया अपने को न तो पृथक बस्ती में बंद कर रख सकती है और न ही अपने विश्वास को मंद कर सकती है बल्कि उसे नयी समझदारी से जुड़कर रहना सीखना है तथा उन लोगों का सम्मान करना होगा जिनकी विचारधाराएँ अलग हैं।

फादर लोम्बारदी ने एक एशियाई धर्माध्यक्ष के विचार को लेते हुए कहा कि जिस तरह संत पापा फ्राँसिस ने स्वयं अपने जीवन द्वारा साक्ष्य दिया है धर्माध्यक्षों को स्वीकार्य पूर्ण उपस्थित, सुनने वाला हृदय तथा परख करने की भावना के साथ धर्मशिक्षा देनी चाहिए।








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