2015-10-15 15:50:00

धर्मांतरण की बात मनगढ़ंत, कार्डिनल टोप्पो


भोपाल, बृहस्पतिवार, 15 अक्टूबर 2015 (ऊकान): राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने धर्मांतरण की बात को मनगढंत बताते हुए, विश्व हिन्दू परिषद पर आरोप लगाया है कि झारखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू कराने के उद्देश्य से उन्होंने आदिवासियों के ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार करने की घटना को तूल दिया।  

विज़न न्यूज़ ऑफ इंडिया के अनुसार, "पिछले 15 दिनों में, नौ जनजातियों में से एक असुर जनजाति के 300 से अधिक लोगों का धर्मातरण कर उन्हें ईसाई बनाया गया" जबकि गुमला जिला प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, घाघरा और विसुनपुर ब्लॉक के करीब 100 लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया है।

कार्डिनल तेलेस्फोर ने ऊका समाचार से कहा, ″पत्रकारों की रिर्पोट सही नहीं है।″ उन्होंने कहा कि इस जाति के लोग कई दशकों से ईसाई रहे हैं और यह कोई अचानक हुई बात नहीं है।

गुमला में न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार के उपविभागीय अधिकारी नेहा औरोरा ने ऊका समाचार से कहा, ″इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, यदि कोई रिपोर्ट आये तो मैं इसकी जानकारी दूँगी।″

कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने कहा कि आदिवासियों के धर्मांतरण की कहानी के द्वारा लोग झारखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू कराना चाहते हैं जहाँ भारतीय जनता पार्टी का शासन है जो भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनाने के प्रयास में लगे हिन्दू संगठनों की राजनैतिक शाखा समझी जाती है।

विदित हो कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं तथा उनमें धर्मांतरण विरोधी कानून लागू है।

ऊका समाचार के अनुसार भारत के 29 राज्यों में से 7 राज्यों में सरकारी अधिकारियों की अनुमति के बिना धर्मांतरण के विरूद्ध कानून लागू किया जा चुका है। ख्रीस्तीय इस कानून का विरोध करते रहे हैं क्योंकि यह भारतीय संविधान में निहित व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करता है।

कार्डिनल ने कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने की मांग करना भारतीय संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कलीसिया किसी को ईसाई बनने हेतु मजबूर नहीं करती और न ही कलीसिया से बाहर जाने पर रोक लगाती है।








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