2015-10-14 11:54:00

हिन्दू कट्टरपंथ देश के लिये लज्जा का विषय, भारतीय बुद्धिजीवी


नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2015 (एशियान्यूज़): भारत के बुद्धिजीवियों का कहना है कि भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के खण्डन के बावजूद हिन्दुत्व प्रेरित साम्प्रदायिक हिंसा एवं कट्टरपंथ थमने का नाम नहीं ले कहा है जो राष्ट्र के लिये लज्जा और अपयश का विषय है।

सोमवार को मुम्बई में हिन्दू चरमपंथियों से संलग्न शिव सेना के छः व्यक्तियों ने पूर्व भाजपा नेता एवं दर्शनशास्त्री सुधीन्द्र कुलकर्णी के मुख पर स्याही से कालिख पोत दी थी इसलिये के वे पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुरशीद मुहम्मद कसूरी की पुस्तक का विमोचन करने जा रहे थे।

श्री कुलकर्णी ने अपने ऊपर हुए हमले की कड़ी निन्दा कर कहा कि यह "प्रजातंत्रवाद पर हमला था।" हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आह्वान को दुहराते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्र में "सहिष्णुता, विविधता एवं बहुलवाद" को सुरक्षा प्रदान की जाये।  

इसी बीच, विगत सप्ताह मध्यप्रदेश के सतना ज़िले में इसी प्रकार की साम्प्रदायिक हिंसा की एक और घटना में पुलिस ने पेन्तेकॉस्टल चर्च के तीन पादरियों को धर्मान्तरण के झूठे आरोपों में गिरफ्तार कर लिया था तथा आरोप लगानेवालों के समक्ष ही उनका अपमान किया था। बताया जाता है कि झूठी शिकायत करनेवालों के समक्ष ही पुलिस ने पादरियों पर घूसों एवं लातों से वार किया था।

हिन्दू चरमपंथियों की हिंसा की निन्दा कर ग्लोबल काऊन्सल ऑफ इन्डियन क्रिस्टियन्स के अध्यक्ष डॉ. साजन के. जॉर्ज ने इस बात पर गहन दुःख व्यक्त किया कि जिन पुलिसवालों को नागरिकों की रक्षा का कार्यभार सौंपा गया है उन्हीं ने उनका अपमान किया।

उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीयों को धर्मपालन का अधिकार नहीं दिया जाता है तथा उन्हें द्वितीय वर्ग के नागरिक माना जाता है। कानून के रखवाले होने का दावा करनेवाले अधिकारियों का अपराधिक आचार-व्यवहार राष्ट्र के लिये लज्जा तथा अपयश की बात है।"   








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