2015-10-14 15:07:00

प्रतिज्ञा जो हम हमारे बच्चों के लिए करते हैं


वाटिकन सिटी, बुधवार 14 अक्टुबर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  जमा हुए हजारों तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में कहा संबोधित करते हुए कहा-

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज हम एक अति महत्वपूर्ण विषय पर मनन करते हैः प्रतिज्ञा जो हम हमारे बच्चों के लिए करते हैं। मैं उन प्रतिज्ञाओं के बारे में नहीं कहता जिसे हम अपने बच्चों से समय-समय पर करते, जिससे हम उन्हें स्कूल में व्यवस्थित कर सकें या किसी लुभावनी चीज से दूर रख सकें। मैं उस अति महत्वपूर्ण प्रतिज्ञा के बारे में कह रहा हूँ जो जीवन के प्रति उनका आकाँक्षाओं के लिये अन्य प्राणियों के प्रति उनके विश्वास के लिये तथा वरदान स्वरूप ईश्वर के नाम को समझने के लिये निर्णायक हैं। जीवन की प्रतिज्ञा स्वरूप हम वयस्क अपने बच्चों के साथ वार्ता करने को तैयार हैं। हम यह भी कहते हैं कि बच्चे हमारे भविष्य हैं लेकिन कभी कभी मुझे आश्चर्य होता है कि क्या हम उनके भविष्य को लेकर गंभीर हैं। हमें अपने आप से एक सवाल हमेशा पूछना चाहिए, क्या हम अपने बच्चों के प्रति की गई प्रतिज्ञा के प्रति वफ़ादार हैं जिन्हें हम इस दुनिया में लाये।

आतिथ्य और सेवा, निकटता और ध्यान, विश्वास और आशा, स्थायित्व की प्रतिज्ञा को हम प्यार की संज्ञा देते हैं, ये सारी चीजें एक मानव को जिसका जन्म इस धरती पर हुआ है प्रेमपूर्ण निवास स्थान प्रदान करती हैं। यह एक प्रतिज्ञा है जिसे हम माता-पिता एक बच्चे के लिए करते हैं क्योंकि उसकी परिकल्पना हमारे मन में हुई है। बच्चे इस दुनिया में आते और इन प्रतिज्ञाओं की पुष्टि चाहते हैं लेकिन इसके विपरीत जब वे चीजों के होते देखते, तो उन्हें असहनीय पीड़ा होती और वे उसे नहीं समझ पाते हैं। ईश्वर इन प्रतिज्ञाओं को देखते हैं। येसु की कही गयी बातों को याद कीजिए, “उनके दूत स्वर्ग में निरन्तर मेरे स्वर्गिक पिता के दर्शन करते हैं” (मत्ती. 18:10)। धिक्कार उन्हें जो उनके विश्वास को तोड़ते हैं। उनकी प्रतिज्ञाओं को पूरा न करना हमारे लिए न्याय का कारण बनता है।

संत पापा ने कहा कि मैं एक और चीज जोड़ना चाहूँगा, जो हम सब के लिए आदर  का कारण हो। उनके सुलभ ईश्वरीय विश्वास को कभी हानि नहीं पहुँचना चाहिए विशेषकर जब यह किसी अनुमान को ले कर होता है। ईश्वर और बच्चों के हृदय के बीच जो कोमल और रहस्यात्मक संबंध है हमें उसे कभी नहीं तोड़ना चाहिए। ईश्वर बच्चों को प्यार करते हैं और जब इसका अहसास बच्चों को होता है तो वे भी ईश्वर को प्यार करने लग जाते हैं।

नवजात शिशु जन्म से ही ईश्वरीय कृपा को अपने में प्राप्त करता है। हमारे कार्य जिन्हें हम उसके लिये करते, भाषा का आदान प्रदान, और चाह भरी नजरें उसे हमारे प्यार का एहसास दिलाती है। इस तरह वे हमें अपने को देते कि हम उन्हें अपने आप को दे सकें।

यदि हम अपने बच्चों को ईश्वरीय नजरों से देख पायें तब ही हम अपने परिवार को समझ पायेंगे और मानवता की सुरक्षा कर सकेंगे। बच्चों की दृष्टि ईश्वर के पुत्र की दृष्टि हैं। कलीसिया स्वयं बपतिस्मा में बच्चों के प्रति प्रतिज्ञा करती है। येसु की पवित्र माता जिन्होंने प्यार से येसु की देख भाल की कलीसिया से अपने मातृत्व और विश्वास के कदमों में चलने का आह्वान करती है, और संत जोसेफ सुयोग्य पिता, जिन्होंने ईश्वरीय आशीष को ग्रहण किया, उसकी रक्षा की और सम्मान के साथ ईश्वरीय प्रतिज्ञा को पूरा किया हर बच्चे में जिसे ईश्वर दुनिया में भेजते हैं येसु के आतिथ्य के योग्य बनाता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और आमदर्शन में जमा हुये लोगों का अभिवादन करते हुए कहा.

मैं अंग्रेजी बोलने वाले तीर्थयात्रियों इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, आयरलैंड, नार्वे, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पापुआ न्यू गिनी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, फिलीपींस, थाईलैंड, कनाडा और संयुक्त राज्य, आज के आमदर्शन में भाग लेने आये आप सब का अभिवादन करता हूँ। आप परिवार विषय पर चल रही धर्मसभा के लिए प्रार्थना करें और अपने पारिवारिक जीवन के माध्यम से दुनिया में ईश्वरीय उपस्थिति का साक्ष्य दें।  ईश्वर आप सब को अपनी आशीष प्रदान करे।

इतना कहने के बाद उन्होंने सब  को अपना प्रेरितिक आशीवार्द दिया।








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