2015-10-09 15:34:00

विश्वास को समुदाय में जीना हमें आनन्द प्रदान करता है


“मुझे सुसमाचार से लज्जा नहीं। यह ईश्वर का सामर्थ्य  है, जो प्रत्येक विश्वासी के लिए- पहले यहूदी और फिर यूनानी के लिए- मुक्ति का स्रोत है। सुसमाचार में ईश्वर की सत्यप्रतिज्ञता प्रकट होती है, जो विश्वास द्वारा मनुष्य को धार्मिक बनाता है। जैसा कि लिखा हैः धार्मिक मनुष्य अपने दवारा जीवन प्राप्त करेगा।” रोम.1, 16-17.

सुसमाचार प्रचारक एक प्रेरित के लिए बाईबल के ये वाक्य सही संश्लेषण हैं। पौलुस के ह्दय में रोमवासियों से मिलने की तीव्र अभिलाषा थी जिससे वह उन्हें सुसमाचार सुना सके। यह एक प्रेरितिक कार्य हैं जिसके प्रति उनका पूरा जीवन, मन और दिल समर्पित था।

विश्वास को समुदाय में जीना हमें आनन्द प्रदान करता है।

संत पौलुस सुसमाचार के प्रेरित हैं जो यह अनुभव करते हैं कि वे ईश्वर की ओर से भेजे गये हैं। सुसमाचार का प्रचार उनके लिए एक पूजनीय कार्य है इस प्रकार प्रार्थना, ईश्वर से संबंध, प्रेम, आज्ञाकारिता, और रोज दिन के जीवन में ईश्वरीय खुशी का साक्ष्य देना यह उनके लिए लज्जा का विषय नहीं है। अतः सुसमाचार का प्रचार अमूल्य उपहार है जो ईश्वरीय न्याय और कृपा को प्रकट करता है। विश्वास हमारा बुनियादी शर्त है जिसके द्वारा हमारा न्याय होता और हम ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ बनते हैं क्योंकि विश्वास हमें जीवन का अर्थ बतलाता है। “वे विश्वास में जीवन पायेंगे।” विश्वास स्थिर या कल्पना नहीं है वरन यह हमारी अन्तरिक दृष्टि है, एक गहरा रहस्यमय संबंध जिसे पौलुस ने अपने जीवन में जिया। विश्वास प्यार के सदृश एक समर्पण है जिसे दिन प्रति दिन के जीवन में बढ़ाते जाना है, विश्वास से विश्वास की ओर। प्रेम और न्याय में कैसे सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है यदि प्रेम धार्मिकता से आगे न निकले तो।

हमें ईराक के ख्रीस्तीयों का अनुभव करना है जिन्होंने रातों-रात विश्वास के कारण अपना सब कुछ छोड़ा दिया।
 








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