2015-10-07 15:23:00

श्रोताओं के पत्र कार्यक्रम


श्रोताओं के पत्र कार्यक्रम

पत्र- 18.9.15

वाटिकन भारती पत्रिका जनवरी, फरवरी और मार्च 2015 मिली, धन्यवाद। जुलयेट जेनेविव क्रिस्टफर जी का लेख, ”विश्वास की अनुपस्थिति में गिरजाघर एवं मठ कुछ भी नहीं।″ फरवरी 2015 के अंकों में जस्टिन तिर्की, ये॰स॰ द्वारा मन को छूने वाला ″माता जीवन व बलिदान का प्रतीक″ तथा मार्च के अंक में सि॰ उषा मनोरमा तिर्की जी का ″संघर्ष का समय है चालीसा काल।″ एक से बढ़कर एक लेख हैं जो पत्रिका के माध्यम से पढ़ने को मिले ”वाटिकन भारती″ पत्रिका गागर में सागर है। मैं आशा करता हूँ आगे भी पत्रिका नियमित रूप से मिलती रहेगी।

अरविंद कुमार काकादे, चाकनागंज, जलगाँव, शिवाजीनगर,  महाराष्ट्र।

पत्र-19.9.15

मोहम्मद फर्रूक 19 सितम्बर के ई मेल में लिखते हैं- सिस्टर, बाईबिल वचन में, ″तूने हमें बहुत कष्ट दिया और बहुत सताया, तूने हमारे साथ रट्टू जानवरों जैसा व्यवहार होने दिया″ इसपर किया गया चिंतन हमें पसंद आया था। कार्यक्रम को हम हमेशा डाऊनलॉड करते रहेंगे, सुनते रहेंगे और पत्र भी लिखते रहेंगे। 68 वाँ भजन भी हमें पसंद आया। आशा है 69 वें पदों के भजन भी सुनकर अच्छा लगेगा।

पत्र- 19.9.15

प्रभु यीशु के पवित्र नाम में नमस्कार। वाटिकन रेडियो द्वारा प्रसारित कार्यक्रम में संत पापा फ्राँसिस ने विशेष रूप से कहा था कि ईश वचन हमें चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है वचन को सुनने, उसे ग्रहण करने तथा उसकी घोषण करने की प्राथमिकता को। कफरनाहूम पहुँचकर येसु ने पाया कि यहाँ सुसमाचार का प्रचार नहीं किया गया था।

दीपक कुमार दास, अपोलो रेडियो लि॰ क्लब, ढोली सकरा, मुजफ्फरपुर।








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